युवाओं को प्रतिभा दिखाने का शानदार मंच साबित हुए खेलो इंडिया यूथ गेम्स

नयी दिल्ली
खेलो इंडिया यूथ गेम्स में पहले से अंतरराष्ट्रीय मुकाबलों में नाम कमा चुके खिलाड़ियों ने उम्मीद के अनुरूप शानदार प्रदर्शन किया तो वहीं कई ऐसे भी खिलाड़ी भी रहे जिन्होंने तमाम बाधाओं को पार कर सफलता का परचम लहराया। युवा ओलंपिक में स्वर्ण पदक जीतने वाले भारोतोलक जेरेमी लालरिनुगा, राष्ट्रमंडल खेलों की रजत पदक विजेता निशानेबाज मेहुली घोष और तैराक श्रीहरि नटराज ने उम्मीदों के मुताबिक शानदार प्रदर्शन किया तो वही बवलीन कौर और दीपक सिंह जैसे खिलाड़ियों को इस आयोजन ने बड़े सपने देखने और उन्हें सच करने का हौसला दिया। जम्मू कश्मीर की 16 साल की जिमनास्ट बवलीन ने इन खेलों में तीन स्वर्ण और दो रजत पदक जीतकर अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया। बवलीन ने जिम्नास्टिक के बाल, रिबन, क्लब्स और हूप स्पर्धा में अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किया और क्रमश: 12.35, 11.25, 13.30 और 11.40 के स्कोर के साथ पदक जीते। उन्होंने ऑल राउंड वर्ग में 43.40 का स्कोर किया।    अगले राष्ट्रमंडल खेलों में देश के नेतृत्व करने का सपना देखने वाली बवलीन ने बताया कि उनकी सबसे बड़ी मुश्किल अभ्यास के लिए जगह की कमी है।    

बवलीन ने कहा,‘‘ मैं वहां सरकारी स्टेडियम में अभ्यास करती हूं, जहां ऐसा हॉल है जिसका इस्तेमाल जिमनास्ट और बैडमिंटन खिलाड़ी करते हैं। लेकिन असल में इसका इस्तेमाल बैडमिंटन खिलाड़ी ही करते हैं। हमारे पास एक बैडमिंटन कोर्ट के बराबर जगह है जहां हम हर रोज 150 से 200 जिमनास्ट अभ्यास करते हैं। हमारे लिये यह काफी मुश्किल हो जाता है, गर्मी के मौसम में काफी गर्मी होती है और ठंड में बहुत ज्यादा ठंड।’’    ऐसी ही कहानी जम्मू कश्मीर के पहलवान दीपक सिंह की है जिन्होंने ट्रेनिंग के लिये जोड़ीदार पहलवानों की कमी के कारण कुश्ती के दांव इंटरनेट की मदद से सीखे हैं। वह पदक जीतने में हालांकि कामयाब नहीं रहे लेकिन यह अनुभव उनके काम आयेगा।    दीपक ने कहा, ‘‘ मैं कठुआ से हूं और वहां मेरे स्कूल या फिर उस इलाके से एक भी बच्चा कुश्ती में नहीं है। जब तक मैं टूर्नामेंट में भाग नहीं लूंगा तब तक मुझे खिलाड़ियों के साथ अभ्यास का मौका नहीं मिलेगा। हमारे यहां पारंपरिक कुश्ती होती है लेकिन मौजूदा दौर में कुश्ती के लिए जिस तरह के प्रशिक्षण और मदद की जरूरत है, वह जम्मू कश्मीर में नहीं है। वहां ना तो कोई कोच है और ना ही मैट।’’ अंडर-17 वर्ग में 55 किलोग्राम में दावेदारी करने वाले दीपक ने कहा, ‘‘ मैंने सुशील कुमार और बजरंग पूनिया को यू ट्यूब पर देखकर इसके दांव-पेच सीखे हैं। 

निशानेबाजी में महज 10 साल की उम्र में पदक जीत कर अभिषेक साव ने सबका ध्यान अपनी ओर खींचा। उन्होंने मेहुली घोष के साथ 10 मीटर एयर राइफल की मिश्रित स्पर्धा में स्वर्ण जीता। वह इन खेलों के सबसे युवा पदक विजेता भी बने। पिछले साल युवा ओलंपिक और एशियाई खेलों में भारत का प्रतिनिधित्व कर चुके कर्नाटक के 18 साल के श्रीहरि नटराज ने सात स्पर्धाओं में भाग लिया और सभी में स्वर्ण पदक अपनी झोली में डाले। उन्होंने पिछले साल भी इस प्रतियोगिता में छह स्वर्ण जीते थे। निशानेबाजी में चंडीगढ़ के दो भाइयों – उदयवीर सिद्धू और विजयवीर सिद्धू की जोड़ी ने कमाल का प्रदर्शन किया और दो पदक जीते। उदयवीर ने लड़कों के अंडर-17 वर्ग के 10 मीटर एयर पिस्टल स्पर्धा का स्वर्ण जबकि विजयवीर को लड़कों के अंडर-21 वर्ग के 10 मीटर एयर पिस्टल स्पर्धा में रजत पदक से संतोष करना पड़ा।

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