यासीन मलिक को करारा झटका, दिल्ली में ही चलेगा 30 साल पुराना मर्डर-अपहरण केस

नई दिल्ली
आतंकी संगठनों को वित्तीय मदद मुहैया कराने के आरोप में दिल्ली की तिहाड़ जेल में बंद यासीन मलिक को जम्मू-कश्मीर हाई कोर्ट ने एक और झटका दिया है। यासीन ने 30 साल पुराने किडनैपिंग-मर्डर केस की सुनवाई श्रीनगर में ही करने की अर्जी दी थी, जिसे कोर्ट ने खारिज कर दिया। अब इस केस की सुनवाई दिल्ली की ही सीबीआई कोर्ट में चलेगी। सुनवाई शुरू करने की तारीख की अलग से घोषणा की जाएगी।

बता दें कि मलिक के खिलाफ सीबीआई ने मर्डर और अपहरण के कुछ मुकदमे दर्ज कर रखे हैं। ये मामले पूर्व केंद्रीय गृह मंत्री मुफ्ती मोहम्मद सईद की बेटी रुबिया सईद के 1989 में हुए अपहरण और 1990 में वायुसेना के चार कर्मियों की हत्या से संबंधित हैं। अलगाववादियों और आतंकी संगठनों को वित्तीय मदद मुहैया कराने संबंधी मामले में राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) द्वारा गिरफ्तार किए गए मलिक फिलहाल 24 मई तक न्यायिक हिरासत में हैं। उन्हें तिहाड़ जेल की एक विशेष सुरक्षा सेल में रखा गया है। एनआईए ने यासीन को उनके घर से 22 फरवरी को गिरफ्तार किया था और तभी से वह जेल में हैं।

उधर यासीन की रिहाई के लिए पीडीपी अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती और नैशनल कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला और उमर अब्दुल्ला लगातार मांग उठा रहे हैं। यासीन की पत्नी भी जेल में उन्हें तिहाड़ जेल में प्रताड़ित किए जाने का आरोप लगा रही हैं और खराब स्वास्थ्य का हवाला देकर उनकी रिहाई की मांग कर रही हैं।

मलिक ने 19 अप्रैल को सीने में दर्द की शिकायत की थी। उन्हें मेडिकल जांच के लिए राम मनोहर लोहिया अस्पताल भेजा गया और नियमित जांच के बाद डॉक्टरों ने उन्हें छुट्टी दे दी। उसके बाद से वह न्यायिक हिरासत में तिहाड़ जेल में हैं। महबूबा ने यासीन की रिहाई की मांग करते हुए कहा, 'यासीन मलिक सचमुच बीमार हैं और ऐसे में उन्हें जल्द रिहा कर देना चााहिए। जमात-ए-इस्लामी के अन्य सदस्यों को भी रिहा करना चाहिए। साध्वी प्रज्ञा जिन पर कई गंभीर आरोप हैं, उन्हें मुक्त कर दिया गया।'

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