यहां चोरी करने वाले को सजा के बदले मिलता है मनचाहा फल

अक्सर कहा जाता है कि चोरी करना पाप होता है। अगर किसी ने चोरी कर ली तो उसे पडौसी या घरवाले बुरा भला सुनाते है। इसके अलावा अगर कोई चोरी करते हुए पकड़ा गया तो उसे जेल की हवा भी खानी पड़ सकती है। लेकिन अगर हम कहें कि भगवान के मंदिर में चोरी करने से आपको सजा के बदले आपकी इच्छा पूरी हो जाएगी तो आप क्या कहेंगे। जी हां, आप इस बात पर यकीन करें या ना करें, लेकिन यह सच है। 

आज हम आपको एक ऐसे मंदिर के बारे में बताने जा रहे है, जहां चोरी करने से मनोकामना पूर्ण होती है। इस मंदिर के साथ यह परंपरा कई सालों से बनी हुई है। देव भूमि उत्तराखंड के रुडक़ी के चुडिय़ाला गांव स्थित यह प्राचीन और अनोखा मंदिर सिद्धपीठ चूड़ामणि देवी का है। जहां भक्त चोरी करते है और इसके पीछे क्या रहस्य है।

कई सदियों पहले यहा संतान विहीन राजा शिकार करने इस जंगल में आये थे। उन्हें यहां मां की पिंडी के दर्शन हुए। राजा ने पिंडी को नमन कर पुत्र प्राप्ति की विनती की। मां ने उनकी विनती स्वीकार कर ली। राजा को कुछ महीने बाद पुत्र रत्न की प्राप्ति हुई और उन्होंने यहा मां का भव्य मंदिर बनवाया।

इस मंदिर में पुत्र की चाह रखने वाले पति पत्नी आते है और मां के सामने शीश झुकाते है। माता के चरणों में एक लकड़ी का गुड्डा रखा रहता है जिसे दंपति को चुराना होता है। दर्शन करने के बाद दंपति को इस गुड्डे को अपने साथ घर ले जाना होता है। पुत्र प्राप्ति होने के बाद दंपति को अपने पुत्र के साथ यहा आकर भंडारा करना होता है और साथ ही लकड़ी का गुड्डा चढ़ाना होता है।
 
मां सती के अंग और आभूषण जिस जिस जगह गिरे वहां शक्तिशाली शक्तिपीठो की स्थापना हुई है। मान्यता है की इस मंदिर की जगह पर मां सती का चूड़ा गिरा था। अत: इस मंदिर का नाम चूड़ामणि देवी मंदिर रखा गया है। यह अति प्राचीन मंदिर श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र है। नवरात्रि पर यहा विशाल मेले का आयोजन किया जाता है।

माता चूड़ामणि अनन्य भक्त बाबा बनखंडी की मंदिर परिसर में ही समाधि स्थल बना हुआ है। इन्होंने अपने जीवन के कई साल मां की सेवा और भक्ति में बिताए थे। सन 1909 में उन्होंने इसी मंदिर में समाधि ली थी। यहा आने वाले श्रद्दालु यहा माथा टेकना नही भूलते हंै।

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