मोदी लहर के चलते एमपी में नहीं दिखा नोटा का भी असर

भोपाल 
लोकसभा चुनाव 2019 में इस बार मोदी लहर में नोटा का भी असर नहीं दिखा. बीजेपी के खाते में ऐसी बंपर जीत आई कि विपक्ष के साथ ही लोगों की नाराजगी वाला नोटा भी गिनती भर के वोटों के साथ सिमट गया. हर बार कई प्रत्याशियों के जीत हार का समीकरण बिगड़ाने वाला नोटा कुल साढ़े तीन लाख वोट ही पाया.

एमपी की सियासत में नोटा जब से आया तब से कईयों की जीत का गणित नोटा ने बिगाड़ दिया तो किसी को हार का स्वाद भी चखाया. 2013 से बैलेट यूनिट पर आए नोटा पर मतदाताओं के भरोसा का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि 2013 एमपी विधानसभा से लेकर 2019 के लोकसभा तक इसने 4 चार चुनाव देखे, जिसमें कई दिग्गजों की जीत के समीकरण को नोटा ने बिगाड़ा. लेकिन इस बार 2019 के चुनाव में नोटा मोदी लहर में बेअसर दिखाई दिया.

नोटा में पड़ने वाले वोटों का आंकड़ा

  •  2013 में नोटा की शुरुआत हुई. तब एमपी विधानसभा चुनाव में 6 लाख 51 हजार वोट नोटा को मिले थे, जो कुल वोट का 1.90 प्रतिशत रहा.
  •  2018 विधानसभा चुनाव में 5 लाख 42 हजार 295 वोट पड़े थे, जो कुल वोट का 1.42 प्रतिशत रहा.
  •  2014 लोकसभा चुनाव में एमपी में कुल 3 लाख 91 हजार 771 वोट नोटा में पड़े, जो 0.81 प्रतिशत रहा.
  •  2019 लोकसभा के रण में 3 लाख 40 हजार लोगों ने नोटा का बटन दबाया.

वहीं 2018 विधानसभा में नोटा ने एमपी के कई मंत्रियों को जीत का स्वाद चखाया. वहीं 2019 लोकसभा की बात करें तो इस बार भले बीजेपी के कई प्रत्याशियों ने लाखों वोट के अंतर से जीत दर्ज की हो लेकिन बड़ी संख्या में ऐसे वोटर भी रहे जिन्होंने नोटा का बटन दबाया.

एमपी 2018 विधानसभा चुनाव में भले ही कई दिग्गजों की हार के अंतर को नोटा ने बढ़ा दिया तो 2019 के रण में भले नोटा इफेक्ट ज्यादा ना दिखा हो लेकिन हर सीट पर नोटा को मिले औसतन 6 हजार वोटों ने बता दिया कि नोटा पर लोगों का भरोसा अब भी कायम है.

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