मॉर्डन दिल्ली के लिए किए अपने इन कामों के लिए हमेशा याद की जाएंगी शीला दीक्षित

नई दिल्ली
सबसे लंबे समय तक दिल्ली की मुख्यमंत्री रहीं शीला दीक्षित का शनिवार 81 वर्ष की उम्र में निधन हो गया. 1998 से 2013 तक वे तीन बार दिल्ली की मुख्यमंत्री रहीं. इस दौर में दिल्ली में कई मॉर्डन सुविधाओं में इजाफा हुआ. शीला दीक्षित को दिल्ली की तस्वीर बदलने के लिए किए गए कार्यों के लिए हमेशा याद किया जाएगा. देश की राजधानी दिल्ली में ट्रैफिक सिस्टम सुधारने, प्रदूषण नियंत्रण और कल्चरल मेल-मिलाप के लिए उनके काम हमेशा याद किए जाएंगे.

शीला दीक्षित के कार्यकाल में दिल्ली में आधुनिक मेट्रो सेवा की शुरुआत हुई थी. 24 दिसंबर 2002 को शाहदरा-तीस हजारी के बीच दिल्ली की पहली मेट्रो सेवा चली थी. इसके बाद से दिल्ली में मेट्रो परिवहन का सबसे मॉर्डन और विस्तृत साधन बन चुकी है. शीला दीक्षित 2013 तक दिल्ली की सीएम रहीं. इस दौरान दिल्ली मेट्रो के फेज-1 औऱ फेज-2 का काम पूरा हुआ, रिंग रोड मेट्रो और तीसरे फेज के लिए प्रस्ताव को मंजूरी मिली. दिल्ली के एक बड़े हिस्से तक मेट्रो की पहुंच उनके कार्यकाल में हुई.

शीला दीक्षित के दौर में ही दिल्ली में सीएनजी यानी क्लीन एनर्जी की शुरुआत की गई थी. डीजल और पेट्रोल से चलने वाली गाड़ियों की जगह सीएनजी से चलने वाली बसें और ऑटो ने दिल्ली को क्लीन एनर्जी के रास्ते पर आगे बढ़ाया. 2009 में शीला दीक्षित ने दिल्ली में लो-फ्लोर बसों की शुरुआत की. 2010 में शीला दीक्षित की सरकार ने दिल्ली में पहली बार सीएनजी हाइब्रिड बसों की शुरुआत की. प्रदूषण मुक्त बसों की ये सुविधा भारत के किसी शहर में पहली बार मिली थी.

दिल्ली की अवैध कॉलोनियों में विकास के प्रस्ताव को पहली बार शीला दीक्षित की सरकार ने मंजूरी दी थी. लीक से हटकर शीला दीक्षित ने सरकारी फंड को अवैध काॉलोनियों में विकास के लिए खर्च करने की वैधानिक व्यवस्था की. इसके बाद से अवैध कॉलोनियों में रह रहे लोगों को भी नालियों-सीवर, पीने के पानी जैसी मूलभूत सुविधाएं मुहैया हो सकीं.

सड़कों और फ्लाईओवर्स का जाल बनाकर शीला दीक्षित के काल में दिल्ली सरकार ने परिवहन और यातायात की सुविधाओं का विकास किया. शहर के बाहर से बाइपास निकालकर बाहर से आने वाली गाड़ियों को सुविधा दी तो इससे राजधानी दिल्ली में ट्रैफिक जाम की समस्या कम हुई. इसके बाद मुनिरका, आईजीआई एयरपोर्ट, अक्षरधाम, धौलाकुआं जैसी ज्यादा ट्रैफिक वाली जगहों पर फ्लाईओवर का जाल बनवाकर ट्रैफिक को रेगुलेट किया और जाम घटाया.

केंद्र-राज्य के बीच बेहतरीन सामंजस्य

आज दिल्ली की केजरीवाल सरकार और केंद्र की बीजेपी सरकार के बीच टकराव में दिल्ली में विकास के काम बाधित होने की चर्चा हमेशा होती रहती है. 15 साल के कार्यकाल में 5 साल केंद्र में बीजेपी सरकार के साथ मिलकर शीला दीक्षित ने काम किया. शीला दीक्षित कांग्रेस की सीएम थीं और तब केंद्र में बीजेपी की अटल सरकार थी. शीला दीक्षित ने बेहतर सामंजस्य स्थापित कर मेट्रो, हाईवे, बिजली समेत तमाम ऐसे प्रोजेक्ट पास कराए जिससे दिल्लीवालों की जिंदगी में बड़े बदलाव आए. इन कामों के लिए शीला दीक्षित को हमेशा याद रखा जाएगा.

2010 में दिल्ली में राष्ट्रमंडल खेलों का सफल आयोजन कर शीला दीक्षित की सरकार ने दिल्ली शहर की क्षमताओं को दुनिया को दिखाया. 50 से अधिक देशों की टीमें दिल्ली आईं. दिल्ली में बने मॉर्डन खेल गांव और स्टेडियमों में बेहतरीन सुविधाएं विकसित कर शीला दीक्षित की सरकार ने देश का गौरव बढ़ाया और आधुनिक हो रहे भारत की ताकत का एहसास कराया.

ग्रीन दिल्ली कैंपेन के तहत दिल्ली के कई इलाकों में शीला सरकार ने पर्यावरण प्रदूषण कम करने के लिए पहल की. सड़कों के किनारे लाखों पेड़-पौधे लगाए गए.

शीला दीक्षित के 15 साल के कार्यकाल में दिल्लीवालों को 24 घंटे बिजली की सुविधा मिलनी शुरू हुई. कई पावर प्लांट लगाए गए इसके अलावा सरप्लस बिजली वाले राज्यों से समझौते कर शीला दीक्षित की सरकार ने दिल्ली में 24 घंटे बिजली आपूर्ति सुनिश्चित की.

शीला दीक्षित खुद अपनी तीन बड़ी उपलब्धियां ये बताती थीं- ' पहला 'मेट्रो', दूसरा 'सीएनजी' और तीसरा दिल्ली की हरियाली, स्कूलों और अस्पतालों के लिए काम करना.

शीला दीक्षित ने पहली बार लड़कियों को स्कूल में लाने के लिए 'सेनेटरी नैपकिन' बंटवाए. उन्होंने दिल्ली में कई विश्वविद्यालय बनवाए और 'ट्रिपल आईआईटी' भी खोली.'' 15 साल तक दिल्ली की मुख्यमंत्री रहने के बाद शीला दीक्षित वर्ष 2013 का विधानसभा चुनाव हार गईं. उसके बाद भी वे राजनीति में सक्रिय रहीं. पहले यूपी में कांग्रेस का मुख्यमंत्री पद के लिए चेहरा और बाद में दिल्ली कांग्रेस के अध्यक्ष के रूप में वे आखिरी वक्त तक सक्रिय रहीं. उनके कार्यकाल में किए गए कार्यों ने काफी हद तक दिल्ली को एक मॉर्डन शहर में बदल दिया.

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