मेरठ-दिल्ली एक्सप्रेस-वे घोटाले में दो पूर्व डीएम सहित छह अफसरों पर होगी कार्रवाई

 लखनऊ गाजियाबाद 
उत्तर प्रदेश सरकार ने मेरठ-दिल्ली एक्सप्रेस-वे परियोजना में हुए घोटाला मामले में गाजियाबाद के दो पूर्व डीएम (विमल कुमार शर्मा और निधि केसरवानी) सहित छह अधिकारियों के खिलाफ तत्काल कार्रवाई करने का फैसला किया है। इस मामले की उच्चस्तरीय जांच बाद में सीबीआई या किसी अन्य एजेंसी से कराई जा सकती है। यह भी फैसला किया गया है कि एनएच एक्ट-1956 की धारा-3डी की अधिसूचना जारी होने के बाद हुए सभी जमीनों के बैनामे निरस्त किए जाएंगे।

यह फैसला मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में मंगलवार को हुई कैबिनेट की बैठक में किया गया। मुख्यमंत्री ने दोषी अधिकारियों के खिलाफ तत्काल अनुशासनिक कार्रवाई के निर्देश दिए हैं। हालांकि कैबिनेट ने कमिश्नर की जांच रिपोर्ट को मंजूरी दे दी है लेकिन सीबीआई या अन्य उच्चस्तरीय जांच एजेंसी से जांच कराने का फैसला बाद में लेने की बात कही।

भारतीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) की मेरठ-दिल्ली एक्सप्रेस-वे परियोजना में अरबों का जमीन घोटाला संज्ञान में आने पर मेरठ के तत्कालीन कमिश्नर रिटायर आईएएस अधिकारी डॉ. प्रभात कुमार ने इस मामले की जांच कर रिपोर्ट 29 सितम्बर 2017 को सौंपी थी। इस समय वे उत्तर प्रदेश लोकसेवा आयोग के अध्यक्ष हैं।

यूपी सरकार के प्रवक्ता ने बताया कि दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेस-वे परियोजना के लिए जनपद गाजियाबाद के चार ग्राम- डासना, रसूलपुर सिकरोड, कुशलिया और नाहल में अधिग्रहीत भूमि के संबंध में शिकायतें प्राप्त हुई थीं। एनएच ऐक्ट-1956 की धारा 3ए का 08 अगस्त 2011 और 3डी का वर्ष-2012 में नोटिफिकेशन और अवार्ड 2013 में हुआ। आर्बिट्रेटर ने वर्ष-2016 एवं 2017 में आदेश पारित किए और नए भूमि अधिग्रहण अधिनियम -2013 के अनुसार मुआवजा तय किया गया। मण्डलायुक्त मेरठ ने जांच में पाया कि एनएच एक्ट-1956 की धारा-3डी के बाद जमीन खरीदी गई। तत्कालीन जिलाधिकारी/आर्बिट्रेटर, गाजियाबाद ने आर्बिट्रेशन वादों में नये भूमि अर्जन अधिनियम- 2013 के तहत मुआवजे की दर को बढ़ा दिया। बढ़े हुए मुआवजे के कारण मुआवजा वितरित नहीं हो सका, जिससे एनएचएआई को वास्तविक कब्जा नहीं मिला और काम अवरुद्ध हो गया।

चारों गांवों को मिलेगा अब मुआवजा
मण्डलायुक्त मेरठ की जांच में 4 गांवों की अर्जित भूमि क्षेत्रफल 71.1495 हेक्टेयर का सक्षम प्राधिकारी की ओर से 1,11,94,26,638 रुपये का मुआवजा घोषित किया गया। निर्णित आर्बिट्रेशन वादों में निहित धनराशि 3,19,16,53,331 रुपये एवं लम्बित आर्बिट्रेशन वादों में, पूर्व में निर्णित आर्बिट्रल दरों के अनुसार 1,67,81,81,592 रुपये की धनराशि आकलित होती है, जिसका कुल योग 4,86,98,34,923 रुपये है। अब इन चारों गांवों (डासना, रसूलपुर सिकरोड, कुशलिया और नाहल) के जमीन मालिकों को केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय के पत्र छह नवंबर, 2019 के आधार पर पर आर्बिट्रेशन अवार्ड के आधार पर मुआवजा वितरित किया जाएगा।

विवाद के चलते चौथे चरण के काम में देरी
दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेस-वे के चौथे चरण (डासना से मेरठ) के काम में चार गांवों की जमीन के विवाद में देर हो गई। इस मामले में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दखल के बाद भी अभी तक मामला पूरी तरह सुलझा नहीं है। ऐसे में प्रोजेक्ट की डेडलाइन मई 2020 तक काम पूरा होने की संभावना नहीं लग रही है।

बीता साल, नहीं हो पाए बयान
घोटाले के 14 आरोपियों को मुकदमे से बाहर किए जाने के मामले में भले ही दोबारा से जांच शुरू हो गई, लेकिन एक साल बाद भी शिकायतकर्ताओं के बयान दर्ज होने बाकी हैं। इनमें एक सेवानिवृत्त अपर जिलाधिकारी भी शामिल है। अब मामले के विवेचनाधिकारी क्षेत्राधिकारी प्रथम धर्मेंद्र सिंह चौहान ने एसआईटी गठन के लिए वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक को लिखा है। विवेचना अधिकारी ने बताया कि सभी शिकायतकर्ता बाहर के हैं। इसलिए उन्हें ढूंढने में समय लग रहा है। एक शिकायतकर्ता लियाकत के बयान हो चुके हैं, जबकि दूसरे शिकायतकर्ता रज्जाक के बयान बुधवार को होंगे। इसके बाद मामले के तीसरे वादी सेवानिवृत्त एडीएम के घर जाकर वह खुद बयान दर्ज करेंगे।

उन्होंने बताया कि इस मुकदमे में पूर्व एडीएम घनश्याम सिंह, उनके बेटे समेत कुल 15 आरोपी थे। इनमें से कविनगर थाना पुलिस ने अपनी विवेचना में केवल एक आरोपी इदरीश को ही दोषी पाया था। इसलिए उसके खिलाफ चार्जशीट पेश कर दी गई। वहीं बाकी के 14 आरोपियों को मुकदमे से बाहर कर दिया गया था। इसके बाद शिकायत होने पर मंडलायुक्त डॉ. प्रभात कुमार ने  मेरठ ने तत्कालीन एडीएम से मामले की जांच कराई और इसी जांच के आधार पर नए सिरे से जांच के आदेश दिए थे।

एसआईटी के लिए लिखा
क्षेत्राधिकारी धर्मेंद्र चौहान ने बताया कि मामले की जांच एसआईटी से होनी है। इसके लिए उन्होंने वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक सुधीर कुमार सिंह को पत्र लिखा है। उन्होंने बताया कि चूंकि यह मामला राजस्व का है, इसलिए एसएसपी को लिखे पत्र में उन्होंने राजस्व विभाग के भी किसी अधिकारी को एसआईटी में शामिल करने का अनुरोध किया है।

एक हफ्ते में जमीन का विवाद सुलझेगा : मुख्य सचिव
दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेस-वे (डासना से मेरठ) के चौथे चरण की छह किलोमीटर सड़क का रास्ता एक हफ्ते में साफ हो सकता है। प्रदेश के मुख्य सचिव आरके तिवारी ने कहा कि चार गांव की जमीन की दर शासन ने तय कर दी है। एक हफ्ते में पूरा मामला सुलझ जाएगा। इसके बाद तय समय पर प्रोजेक्ट पूरा हो जाएगा। सोमवार को नगर निगम का औचक निरीक्षण करने पहुंचे प्रदेश के मुख्य सचिव आरके तिवारी ने कहा कि इसकी रूपरेखा तय कर ली गई है।
 

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