मूल गीत हमारी इंडस्ट्री को परिभाषित करती है, रीक्रिएशन नहीं : मोनाली ठाकुर

मुंबई। प्लेबैक गायिका मोनाली ठाकुर, जिन्होंने हाल ही में अपनी नई सिंगल, 'दिल का फितूर' रिलीज किया है, उनका कहना है कि सिर्फ ऑरिजनल मेलोडी ही हमारे संगीत उद्योग को परिभाषित करेंगी न कि पिछले कुछ वर्षों में होने वाले रीमिक्स और रिक्रिएशन।

"मुझे क्लासिक के रीक्रिएशन के साथ समस्या नहीं है, समस्या कहीं और है। जब एक कलाकार एक ऑरिजनल गीत बनाता है, तो उसमें बहुत मेहनत की जाती है, क्योंकि वह प्रतिभा ही होती है जो गाने में नजर आती है। सम्मान और नैतिकता नाम की कोई चीज होती है। एक कलाकार होने के नाते, यदि आप दूसरे कलाकार के काम के प्रति सम्मान नहीं दिखाते हैं, तो यह निराशाजनक है और पिछले कुछ सालों में ऐसा हुआ है। सिर्फ शोहरत, नाम और पैसे के लिए किसी दूसरे कलाकार का अनादर करना शर्मनाक है। मैं रीमिक्स या रिक्रिएशन के खिलाफ नहीं हूं, लेकिन जब आप ऐसा करते हैं, तो या तो आपको ऑरिजनल से बेहतर गाना बनाना चाहिए या फिर कम से कम उसके बराबर का तो अवश्य बनाना चाहिए।"

एआर रहमान की ऑरिजनल सॉन्ग 'मसकली' गाने के रीक्रिएशन का उदाहरण देते हुए, जिसे तनिष्क बागची ने दोबारा बनाया था और जिसकी खूब आलोचना हुई थी, मोनाली ने कहा, "यह देखकर बहुत अच्छा लगा कि रहमान साहब ने एक स्टैंड लिया है। आमतौर पर लोग स्टैंड नहीं लेते हैं और चुप रहते हैं।"

मोनाली ने आगे कहा, "लगातार एक के बाद एक रीमिक्स बनाना सही बात नहीं है, खासकर हमारी संगीत संस्कृति के लिए। हमारे देश में इतनी प्रतिभा है और हमारा संगीत इतना समृद्ध है! अगर एक सांस्कृतिक रूप से समृद्ध देश में हम ऑरिजनल संगीत नहीं बना रहे हैं, तो यह दुखद है।"

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