मुख्य आरोपियों को क्यों गिरफ्तार नहीं कर पा रही CBI ?
पटना
सृजन घोटाला मामले का खुलासा हुए दो साल होने को हैं, लेकिन CBI किसी विशेष नतीजे पर नहीं पहुंच पाई है. केंद्रीय जांच एजेंसी जहां सृजन के मुख्य आरोपी अमित कुमार और प्रिया कुमार को गिरफ्तार करने में नाकाम रही वहीं महंगे गहनों के साथ सेल्फी लेने की शौकीन आरोपी इंदु गुप्ता को भी ट्रेस करने में भी अब तक विफल साबित हुई है. जाहिर है CBI की जांच दिशा, कार्यशैली और मंशा को लेकर भी सवाल खड़े होने लगे हैं.
सृजन घोटाला मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के सुशासन के दावे पर एक बहुत बड़ा 'दाग' बनकर उभरा है. इसमें करोड़ों के सरकारी फंड का गबन किया गया जिसमें सरकार के कई बड़े अधिकारियों और नेताओं की संलिप्तता भी उजागर हुई. शुरुआती दौर में छोटा लगने वाला यह स्कैम करीब 1900 करोड़ तक पहुंच गया है. सीबीआई इसकी जांच कर रही है, लेकिन बीते दो सालों में इसमें बहुत कामयाबी नहीं मिली है.
सीबीआई ने सृजन घोटाले में 25 अगस्त 2017 को एफआइआर दर्ज करते हुए इसकी जांच शुरू की. सीबीआई इस मामले में अब तक 12 प्राथमिकी दर्ज कर चुकी है. साथ में आरोप पत्र भी दायर कर चुकी है. वर्तमान में इस घोटाला के 15 आरोपित अभी जेल में हैं.
बता दें कि यह घोटाला भागलपुर, बांका और सहरसा जिले में सरकारी फंड के गबन से जुड़ा है. बिहार सरकार ने इस घोटाले का सच सामने आने के बाद जांच के आदेश दिए थे. इसके बाद एसआइटी की टीम मामले की जांच कर रही थी. लेकिन विपक्ष के हमले के बीच 13 अगस्त 2017 को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने सृजन घोटाले की सीबीआई जांच की अनुशंसा कर दी थी.
सरकारी राशि के अवैध हस्तांतरण से जुड़ा यह घोटाला अधिकारियों, सरकारी कर्मचारियों और बैंककर्मियों की तिकड़ी से उपजा मामला है. विभिन्न विभागों की सरकारी राशि को बैंक से सृजन महिला विकास सहयोग समिति लिमिटेड में अवैध हस्तांतरण किया गया था. यह बिहार का अब तक का सबसे बड़ा घोटाला भी माना जा रहा है.
दो साल बीतने को आए, लेकिन सृजन की संस्थापिका मनोरमा देवी की मौत के बाद संस्था के कर्ताधर्ता बने अमित कुमार और प्रिया कुमार को गिरफ्तार करने में पुलिस सफल नहीं हो पायी है. एक अन्य आरोपी इंदु गुप्ता भी करोडों के जेवर और नगदी लेकर फरार हैं. जबकि सीबीआई के विशेष अदालत ने इंदु गुप्ता के खिलाफ 14 सितम्बर 2018 को ही वारंट जारी कर दिया था.
गौरतलब है कि इंदु गुप्ता इसी मामले में जेल में बंद तत्कालीन जिला कल्याण पदाधिकारी अरुण कुमार की पत्नी हैं. अरुण कुमार की गिरफ्तारी 14 अगस्त 2017 को जिला पुलिस की एसआइटी और आर्थिक अपराध इकाई की टीम ने खंजरपुर के कुंज अपार्टमेंट से गिरफ्तार किया था. यहां घोटाले से जुड़े कई कागजात भी एसआइटी के हाथ लगे थे. हालांकि छापेमारी के भनक लगते ही इंदु गुप्ता ब्रीफकेस लेकर फरार हो गयी थी.