मीडियम लिफ्ट हेलिकॉप्टर प्रॉजेक्ट पर 10,000 करोड़ खर्च करेगी सरकार!

 नई दिल्ली 
भारत स्वदेशी मीडियम लिफ्ट हेलिकॉप्टर को डिजाइन और डिवेलप करने के लिए 10,000 करोड़ रुपये के प्रॉजेक्ट का प्लान बना रहा है। यह सशस्त्र बलों के पास अपनी कैटेगरी वाले मौजूदा रूसी हेलिकॉप्टर की जगह लेगा। यह देश का सबसे बड़ा हेलिकॉप्टर डिजाइन प्रॉजेक्ट होगा। सूत्रों ने बताया कि इस प्रॉजेक्ट में भारी निवेश की जरूरत पड़ेगी, जिसके लिए कैबिनेट की मंजूरी लेनी होगी। 

सूत्रों का कहना है कि इस प्रक्रिया पर काम शुरू हो गया है। इस मुश्किल डिवेलपमेंट प्रोग्राम की इंडियन मल्टी रोल हेलिकॉप्टर (आईएमआरएच) पर चुनौती है। वह डिजाइन की मजबूती परखने के लिए कई टेस्ट करेगा। उसके बाद हेलिकॉप्टर को मिलिट्री यूज का सर्टिफिकेट मिलेगा। आने वाले वर्षों में सशस्त्र बलों की 550 से ज्यादा यूनिट को ऐसे हेलिकॉप्टर की जरूरत होगी। हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएल) इसकी निर्यात की संभावनाएं भी तलाशेगी।

रूस में बने चॉपर की लेंगे जगह 
सरकारी कंपनी के पास कई हेलिकॉप्टर प्रोग्राम हैं। इनमें एडवांस्ड लाइट हेलिकॉप्टर भी शामिल है, जिसका इस्तेमाल हो रहा है। लाइट कॉम्बैट हेलिकॉप्टर का प्रॉडक्शन चल रहा है, जबकि लाइट यूटिलिटी हेलिकॉप्टर अंडर-डिवेलपमेंट है। आईएमआरएच ने पहले हेलिकॉप्टर को 2017 के एरो इंडिया शो में कॉन्सेप्ट के तौर पर पेश किया था। ये हेलिकॉप्टर रूस में बने Mi 8/17 की जगह लेंगे, जो फिलहाल देश ट्रांसपोर्ट चॉपर फ्लीट की रीढ़ है। 

कॉन्सेप्ट के बाद चॉपर को डिजाइन करने और परीक्षण के लिए प्रोटोटाइप बनाने का काम शुरू नहीं हुआ है क्योंकि इसके लिए वित्तीय मंजूरी की जरूरत है। सूत्रों ने बताया कि 10,000 करोड़ रुपये के प्लान को अप्रूवल के भेजा जा रहा है। फंड मिलने के बाद पहला हेलिकॉप्टर दो साल के भीतर टेस्टिंग के उड़ान भर सकता है। प्रॉजेक्ट से वाकिफ अधिकारियों ने बताया, ‘जहां तक हेलिकॉप्टर के डिजाइन की बात तो हमारे पास सक्षम टेक्नोलॉजी है। हालांकि, यह एक बड़ा हेलिकॉप्टर होगा, लेकिन इसके लिए डिजाइन कॉन्सेप्ट और अनुभव मौजूद हैं।’ 

मौके का फायदा उठाना चाहती एचएएल 
आईएमआरएच का पहला उत्पादन 24 सीट के साथ 12 टन क्लास चॉपर था। इसका अनावरण तत्कालीन रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर ने किया था। यह टैक्टिकल ट्रूप ट्रांसपोर्ट, ऑफ शोर ऑपरेशन और वीवीआईपी ट्रांसपोर्ट जैसी क्षमताओं से लैस था। ट्विन-इंजन चॉपर के साथ-साथ एक डेडिकेटेड नवल वेरिएंट भी है। 

एचएएल ने स्पष्ट किया है कि इसे सिर्फ पुराने हेलिकॉप्टरों को रिप्लेस करने के लिए डिजाइन नहीं किया जा रहा है, बल्कि वैश्विक बाजार निर्यात करने की भी योजना है। सरकारी कंपनी ने कहा कि दुनियाभर की 40 से अधिक वायु सेनाओं में रूसी हेलिकॉप्टरों का इस्तेमाल हो रहा है, जिन्हें जल्दी ही बदलने की जरूरत पड़ेगा। एचएएल इसके मौके का फायदा उठाना चाहती है। 
 

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