मारे गए चीनी सैनिकों के परिवार मांग रहे हैं सम्मान 

 बीजिंग 
पूर्वी लद्दाख के गलवान घाटी में 15 जून की रात हिंसक झड़प में भारत और चीन दोनों ही देशों के सैनिकों की जान गई। लेकिन चीन में सैनिकों और उनके परिवार का सम्मान तो दूर की बात जनता को उन सैनिकों के नाम तक नहीं बताए जाते हैं जो लड़ते हुए मारे गए। भारत की तरह शहीदों के सम्मान की मांग कर रहे चीनी सैनिकों के परिवारों को शांत करने की कोशिश करते हुए ड्रैगन ने कहा दिया है कि बाद में बताएंगे। 

सत्ताधारी चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के मुखपत्र ग्लोबल टाइम्स के एडिटर हू शिजिन ने एक लेख में लिखा, ''सेना में मरने वालों को सर्वोच्च सम्मान दिया जाता है और समाज को बाद में सही समय पर सूचना दी जाएगी, ताकि हीरोज का सम्मान हो और उन्हें याद रखा जाए, जिसके वे हकदार हैं।

यह देख उस वीडियो के सामने आने के दो दिन बाद लिखा गया है, जिसमें पीएलए के मारे गए सैनिकों के परिजन आक्रोश प्रकट करते हुए भारत के शहीदों की तरह सम्मान मांग रहे थे। उन्होंने कहा कि भारत में शहीदों का बहुत सम्मान होता है, लेकिन यहां ना तो कोई सम्मान दिया जाता है और ना ही पहचान दी जाती है। 

हालांकि, ग्लोबल टाइम्स ने यह स्वीकार किया है कि झड़प में चीनी सैनिक मारे गए, लेकिन उनकी संख्या 20 से कम होने का दावा किया है। चीन की सरकार अभी तक इस मुद्दे पर चुप्पी साधे हुए है। वह देश को यह भी बताने को तैयार नहीं हैं कि कितने सैनिक सीमा पर मारे गए। 

हू ने लिखा, ''अभी तक चीनी सेना ने मारे गए सैनिकों के बारे में कोई सूचना नहीं दी है। मैं समझता हूं कि यह आवश्यक कदम है, जिसका उद्देश्य दो देशों की जनताओं की भावनाओं को नहीं भड़कने देना है।'' उन्होंने हमले में चीन के 40 सैनिकों के मारे जाने संबंधी दावों को खारिज किया।

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