महाराष्ट्र में दरकने लगा ‘महागठबंधन’, बीजेपी-शिवसेना का पलड़ा भारी

  मुंबई 
तीन महीने पहले महाराष्ट्र में बीजेपी के लिए हालात मुश्किल दिख रहे थे। सहयोगी शिवसेना केंद्र और राज्य की बीजेपी सरकारों पर लगातार सवाल उठा रही थी। यह चर्चा भी थी कि शिवसेना लोकसभा चुनाव अकेले लड़ सकती है। दूसरी ओर कांग्रेस और एनसीपी का पलड़ा भारी दिख रहा था। दोनों ने बीजेपी का मुकाबला करने के लिए कई दलों का 'महागठबंधन' बनाया था। 
 
इसमें राजू शेट्टी का स्वाभिमानी शेतकारी संगठन शामिल हो चुका था और प्रकाश आंबेडकर के भारिप बहुजन महासंघ (बीबीएम) को शामिल करने पर बातचीत चल रही थी। महागठबंधन अच्छी स्थिति में दिख रहा था क्योंकि पश्चिमी महाराष्ट्र में राजू शेट्टी की अच्छी पकड़ है और प्रकाश आंबेडकर की एंट्री से दलित वोटरों पर असर पड़ता। 

बीजेपी ने शिवसेना को मनाया
हालांकि उसके बाद समीकरण तेजी से बदले और बीजेपी ने शिवसेना से गठबंधन कर लिया। दूसरी ओर कांग्रेस-एनसीपी के महागठबंधन में दरारें उभरने लगी हैं। बीबीएम के प्रकाश आंबेडकर ने कांग्रेस-एनसीपी से मिला चार सीटों का ऑफर ठुकरा दिया। वह अब शायद ही इनके साथ आएं। आंबेडकर ने इन दोनों दलों से कहा था कि वे उन 18 सीटों पर उम्मीदवार न उतारें, जहां से उन्होंने अपने कैंडिडेट्स का ऐलान कर दिया है। 

राजू शेट्टी ने की थी तीन-चार सीटों की मांग 
अब कांग्रेस और एनसीपी के नेताओं का मानना है कि आंबेडकर से गठबंधन नहीं होने वाला है। उधर, स्वाभिमानी शेतकारी संगठन भी इस महागठबंधन से निकलने पर विचार करने लगा है। कोल्हापुर इलाके के प्रभावशाली किसान नेता शेट्टी कम से कम तीन-चार सीटें मांग रहे हैं। कांग्रेस-एनसीपी उन्हें केवल एक सीट देने को तैयार हैं। 
 

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