महागठबंधन: बिहार में आरजेडी-कांग्रेस के बीच सीटों का पेच, कई फॉर्म्युलों पर मंथन

 नई दिल्ली 
लोकसभा चुनाव के दौरान बिहार में महागठबंधन के लिए कांग्रेस और राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) के बीच सीटों के बंटवारे पर बातचीत चल रही है। राज्य में 40 लोकसभा सीटें हैं और दोनों पार्टियों के बीच सीटों पर दावेदारी को लेकर कशमकश देखी जा रही है। लालू यादव की आरजेडी, कांग्रेस की ज्यादा सीटों की मांग पर झुकने को तैयार नहीं नजर आ रही है।  
 जिताऊ उम्मीदवार का हवाला देते हुए आरजेडी, कांग्रेस के लिए 10 से ज्यादा सीटें छोड़ने को राजी नहीं है। यहां तक कि आरजेडी, कांग्रेस को 8 सीटें देकर महागठबंधन को अंतिम रूप देने की कोशिश में है। वहीं, एक और संभावित फॉर्म्युले के तहत बीच का रास्ता निकालते हुए कांग्रेस को 12 सीटें दिए जाने की भी चर्चा है। 

राहुल की रैली के बाद महागठबंधन की घोषणा 
सूत्रों ने हमारे सहयोगी टाइम्स ऑफ इंडिया को बताया कि पटना में 3 फरवरी को कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी की जन आकांक्षा रैली के बाद महागठबंधन की औपचारिक घोषणा हो सकती है। पार्टी इस आयोजन को काफी अहम मान रही है क्योंकि बिहार की राजनीति में लगातार सिकुड़ती कांग्रेस ने पिछले कुछ वर्षों के दौरान यहां कोई बड़ी रैली नहीं की है। 

22 सीटों पर लड़ने की तैयारी में आरजेडी 
जहां एक ओर कांग्रेस पूर्व सीएम लालू यादव के बेटे तेजस्वी यादव से ज्यादा सीटों के लिए दबाव डाल रही है, वहीं आरजेडी 40 में से 22 लोकसभा सीटों पर चुनाव लड़ने की तैयारी में है। राष्ट्रीय लोक समता पार्टी (आरएलएसपी) के उपेंद्र कुशवाहा को 3 से 4 सीटें दी जा सकती हैं। इसके अलावा दलित नेता जीतन राम मांझी की हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा को महागठबंधन के तहत एक सीट मिलने की संभावना है। 

बीएसपी को साथ लाने के पक्ष में आरजेडी 
दिलचस्प बात यह है कि आरजेडी इस महागठबंधन में सीपीआई (एमएल) के अलावा मायावती की बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी) को भी शामिल करने के लिए काफी उत्सुक है। बीएसपी को भी महागठबंधन में एक सीट दी जा सकती है। हालांकी सीटों का फॉर्म्युला अभी अंतिम नहीं है क्योंकि सीपीआई (एमएल) और बीएसपी के महागठबंधन में शामिल होने की तस्वीर साफ नहीं हो पाई है। 

सूत्रों का कहना है कि दोनों पार्टियों को महागठबंधन में लेने के पीछे अलग-अलग सामाजिक समीकरणों वाले लोकसभा क्षेत्रों में मजबूत पकड़ बनाने की रणनीति है। इसके साथ ही बीजेपी-जेडीयू के गठजोड़ को कड़ी चुनौती देने के साथ ही लोकसभा चुनाव में पीएम मोदी और नीतीश कुमार की जुगलबंदी वाले प्रचार अभियान को जोरदार जवाब देने के लिए भी आरजेडी ऐसा करने की जुगत में है। 

10 से ज्यादा सीटें चाहती है कांग्रेस 
कांग्रेस को महागठबंधन में 10 सीटें मिलने पर पार्टी के लिए निराशाजनक स्थिति हो सकती है। दिसंबर में हुए विधानसभा चुनाव में बीजेपी शासित तीन राज्यों में जीत के बाद तथाकथित सेक्युलर गठजोड़ की अगुआई करने की दिशा में कांग्रेस बिहार में ज्यादा सीटों की इच्छा रखती है। इसके साथ ही पार्टी उत्तर प्रदेश में एसपी-बीएसपी के बीच हुए ऐंटी बीजेपी गठबंधन से लगे झटके से उबरना चाहती है। 

इस समीकरण के सहारे महागठबंधन 
चुनाव में आरजेडी ओबीसी/दलित/मुस्लिम समीकरण के साथ ही अगड़ी जाति के कुछ हिस्सों और ग्रामीण वोट बैंक को अपने पाले में करने के लिए उत्सुक है। इसमें कांग्रेस उसकी मददगार हो सकती है। तेजस्वी ने हाल ही में मोदी सरकार द्वारा संविधान संशोधन के जरिए जनरल कैटिगरी आरक्षण दिए जाने के विरोध में आक्रामक रुख अख्तियार किया है। जहां कांग्रेस ने सरकार के इस फैसले का समर्थन किया था, वहीं आरजेडी का मानना है कि इस कदम से पिछड़ी जातियों में पर्याप्त गुस्सा है और चुनाव के दौरान वोटों के रूप में इसे भुनाया जा सकता है। 
 

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