मप्र में अनुसूचित वर्गों के प्रकरणों में पुलिस अधिकारियों के माध्यम से मिलेगी राहत राशि
भोपाल।
बेहतर परिणाम के लिए पुलिस विभाग को सूचना प्रौद्योगिकी और अनुसंधान की नई तकनीकों के साथ कदमताल करते हुए काम करने की जरूरत है। प्रौद्योगिकी परिवर्तनशील होती है, इसलिए इसके साथ निरंतर चलते रहना होगा। इसका उपयोग वंचित वर्गों को न्याय दिलाने और उनकी रक्षा करने में होना चाहिए। अनुसूचित वर्गों के प्रकरणों में जो राहत राशि राजस्व विभाग के माध्यम से पीड़ित पक्ष को मिलती है, उसे पुलिस अधिकारियों के माध्यम से दिलाए जाने के निर्देश दिए जाएंगे।
यह जानकारी मुख्यमंत्री कमलनाथ ने दी। वे यहां मिंटो हॉल में अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति वर्गों के प्रति संवेदनशीलता विषय पर पुलिस मुख्यालय की अनूसूचित जाति कल्याण शाखा द्वारा आयोजित दो दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम के समापन सत्र को संबोधित कर रहे थे।
उन्होंने कहा कि पुलिस को एक सामाजिक विभाग की तरह काम करना होगा, जिससे हर नागरिक में सुरक्षा का भाव आए। उन्होंने कहा कि निर्धारित कर्तव्यों को निभाते हुए अपनी वर्दी का सम्मान रखें। उन्होंने पुलिस अधिकारियों की मांग से सहमति जताई और कहा कि वंचित वर्गों को कानून की ज्यादा जरूरत है। पुलिस विभाग के पास आज जितनी सुविधाएं हैं, वे दस साल पहले नहीं थीं। जो आज उपलब्ध हैं, वे समय के साथ बदल जाएंगी। इसलिए वर्तमान में उपलब्ध सूचना प्रौद्योगिकी और अनुसंधान की नई तकनीकों का उपयोग कर अपनी अनुसंधान क्षमता को बढ़ाएं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि हर वर्ग का पुलिस से वास्ता पड़ता है। हर नागरिक पुलिस को पहचानता है। पुलिस, प्रशासन और सरकार की कार्यप्रणाली का पैमाना होती है। पुलिस अधिकारियों को यह देखना होगा कि वे अपना आंकलन किस नजरिए से करना चाहते हैं।
मुख्यमंत्री ने सेमीनार के प्रतिभागियों को स्मृति चिन्ह और प्रमाण पत्र प्रदान किए तथा श्रेष्ठ प्रतिभागियों को सम्मानित किया। पुलिस महानिदेशक वीके सिंह ने कहा कि अनूसूचित वर्गों के अधिकारों के प्रति पुलिस अधिकारियों को जागरूक और संवेदनशील बनाने के लिए हर साल दो बार प्रशिक्षण आयोजित किया जाता है। उन्होंने कहा कि पुलिस महकमे को वंचित वर्गों की सेवा करने का अवसर मिला है। अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (अजाक) प्रज्ञा ऋचा श्रीवास्तव ने बताया कि प्रशिक्षण कार्यक्रम में विभिन्न जिलों के अजाक शाखा में पदस्थ 75 अधिकारियों ने भाग लिया।