मध्य प्रदेश में कांग्रेस सरकार के लिए कर्जमाफी का फैसला गले की फांस

भोपाल
मध्य प्रदेश में कांग्रेस की सत्ता में वापसी कराने वाली कर्जमाफी की घोषणा अब गले की फांस बन गई है| चुनाव में कांग्रेस ने घोषणा पत्र में यह वचन दिया था कि सत्ता में आते ही दस दिन के भीतर किसानों के दो लाख तक के कर्ज माफ़ होंगे| सीएम कमलनाथ ने मुख्यमंत्री की शपथ लेते ही कर्जमाफी की फ़ाइल पर साइन कर यह घोषित कर दिया कि किसानों का कर्ज माफ़ कर दिया| लेकिन इसके बाद जो हकीकत और जमीनी स्तिथि सामने आई उससे सरकार के लिए कर्जमाफी का फैसला गले की फांस बन गया| अब तक इस मुद्दे पर विपक्ष ने सरकार की घेराबंदी कर रखी थी| लेकिन अब सरकार अपनों से ही घिर गई है|

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह के छोटे भाई विधायक लक्ष्मण सिंह ने सरकार के खिलाफ बगावती बाण चलाये हैं| उन्होंने सीधे राहुल गांधी की घोषणा को ही गलत बताते हुए कहा है कि उन्हें दस दिनों में कर्जमाफ होने का वादा नहीं करना था, किसी भी कीमत पर इस साल कर्जमाफी नहीं होगी| उन्होंने एक टीवी चैनल से बातचीत में यह तक कह दिया कि अब सरकार को हाथ जोड़कर माफ़ी मांग लेना चाहिए कि हमसे गलती हो गई|  उनके इस बयान से एक तरफ भाजपा को बड़ा मौक़ा मिल गया है, वहीं लक्ष्मण के यह बागी बोल सरकार को भी चुभने वाले हैं| अपनी ही सरकार में नाराज चल रहे नेताओं और विधायकों, मंत्रियों के बीच चल रही खींचतान के बीच लक्ष्मण सिंह का सीधे तौर पर सरकार और राहुल गाँधी को निशाने पर लेने के मामले से सियासत गरमा गई है| हालांकि लक्ष्मण की नाराजगी समय समय पर सामने आती रहती है, वे सीधे शब्दों में अपनी ही पार्टी को घेरने के लिए जाने जाते हैं| जिस मुद्दे के सहारे बीजेपी सरकार को घेरती आई है, और सरकार अपने अलग दावे करती है, लक्ष्मण सिंह के बयान से उन दावों की पोल खुल गई है|

सरकार के सामने नौ महीने के भीतर कई बार ऐसे मौके आये हैं जब अपने ही विरोध में खड़े नजर आये| राजनीतिक नियुक्तियों में देरी और पीसीसी चीफ को लेकर आम सहमति न बनने से अंदरखाने उठ रहे विरोध को थामना सीएम कमलनाथ के लिए एक बड़ी चुनौती बनता जा रहा है| राजस्थान के घटनाक्रम के बाद जहां बसपा सुप्रीमों कांग्रेस से नाराज चल रही हैं, ऐसे समय में कांग्रेस के अपनों के बागी सुर भाजपा को ताकत देने का काम कर रहे हैं| विपक्ष से ज्यादा सरकार के लिए अपने ही मुश्किलें बढ़ा रहे हैं, नेताओं की नाराजगी दबी जुबान में नहीं बल्कि खुलकर सामने आ रही है ऐसे में अपनों को साधना एक बार फिर मुख्यमंत्री के लिए टेड़ी खीर बनता जा रहा है|

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