मध्य प्रदेश ई टेंडर घोटाला: अफसरों ने फर्जी डिजिटल दस्तख़त से ऐसे किया फर्जीवाड़ा

भोपाल
मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के ई टेंडर महाघोटाले (E Tender Scam) की जांच में एक और बड़ा खुलासा (Revelation) हुआ है. जिन विभाग के अफसरों का ट्रांसफर (Transfer) हो गया था, उन अफसरों के नाम के डिजिटल हस्ताक्षर (Digital Signature) से टेंडर्स में फर्जीवाड़े का खेल चलता रहा. ये खेल टेंडर्स की प्रक्रिया पूरी होने तक चला. ये खुलासा ईओडब्ल्यू (EoW) की जांच में हुआ है.

मध्य प्रदेश के ई टेंडर घोटाले में अधिकारियों द्वारा अपने डिजिटल हस्ताक्षरों को न केवल विभाग के साथियों को देकर टेंडर प्रक्रिया पूरी कराई गई, बल्कि ट्रांसफर के बाद भी उनके डिजिटल हस्ताक्षरों से ई टेंडर की प्रक्रिया को पूरा किया गया. ईओडब्ल्यू ने 9 टेंडरों में टेंपरिंग को लेकर एफआईआर दर्ज की थी. इस मामले में अभी तक आठ आरोपियों की गिरफ्तारी हो चुकी है. जांच में टेंडरों में टेंपरिंग के साथ अफसरों के ट्रांसफर के बावजूद डिजिटल हस्ताक्षर का इस्तेमाल टेंडर की प्रक्रिया पूरी होने तक किया गया.

जल निगम के प्रवीण दुबे, जल संसाधन विभाग के आशीष महाजन, लोक निर्माण विभाग के अखिलेश उपाध्याय, मप्र सड़क विकास निगम के पीयूष चतुर्वेदी और पीआईयू के विजय कुमार सिंह के डिजिटल हस्ताक्षरों से ई-टेंडर की प्रक्रिया को पूरा किया गया.
 
जल निगम के प्रवीण दुबे और पीआईयू के विजय कुमार टेंपरिंग के समय तक ई टेंडर प्रक्रिया से जुड़े थे, लेकिन पीडब्ल्यूडी के अखिलेश उपाध्याय, सड़क विकास निगम के पीयूष चतुर्वेदी और जल संसाधन के आशीष महाजन का ट्रांसफर हो चुका था. इन अफसरों के ट्रांसफर होने के बावजूद टेंडर प्रक्रिया तक इनके डिजिटल हस्ताक्षर का इस्तेमाल किया गया.

बताया जा रहा है कि लोक निर्माण विभाग (PWD) के आखिलेश उपाध्याय का ट्रांसफर होने की बाद नरेंद्र कुमार और पीयूष चतुर्वेदी की जगह आरके तिवारी आए थे, लेकिन इन नए अधिकारियों के डिजिटल हस्ताक्षर नहीं बनाए गए और ट्रांसफर हो चुके अफसरों के हस्ताक्षर से टेंडर प्रक्रिया को फर्जी तरीके से पूरा किया गया. ई टेंडर घोटाले की जांच जैसे-जैसे आगे बढ़ रही है, वैसे-वैसे नए खुलासे हो रहे हैं. डिजिटल हस्ताक्षर के फर्जीवाड़े का खुलासा होने के बाद अब उन अफसरों को भी जांच के दायरे में लिया गया है, जिनके हस्ताक्षर का इस्तेमाल फर्जी तरीके से किया गया था.

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