मध्यप्रदेश की तीन बिजली कम्पनियों में से दो की हालत यूपी और बिहार की बिजली कम्पनियों से भी बदतर

भोपाल
बिजली के मामले में खुद को सरप्लस स्टेट बताने वाले मध्यप्रदेश की तीन बिजली कम्पनियों में से दो की हालत यूपी और बिहार की बिजली कम्पनियों से भी बदतर है। इसका खुलासा स्टेट पावर डिस्ट्रीब्यूशन यूटिलिटीज के सातवें इंटीग्रेटेड रेटिंग से हुआ है। देश की टाप टेन वितरण कम्पनियों में गुजरात की चार कम्पनियां शामिल हैं जबकि टाप 20 में एमपी की एक पश्चिम क्षेत्र विद्युत वितरण कम्पनी को मौका मिला है।

ऊर्जा विभाग द्वारा जारी की गई रेटिंग से पता चलता है कि देश में 41 विद्युत वितरण कम्पनियां ए प्लस, ए, बी प्लस, बी व सी प्लस एवं सी कैटेगरी में रखी गई हैं। ए प्लस कैटेगरी में सात कम्पनियां हैं और ए कैटेगरी में नौ कम्पनियां शामिल हैं। इन्हीं नौ में पश्चिम क्षेत्र विद्युत वितरण कम्पनी एमपी का नाम है जो कुल रेटिंग में 14वें पायदान पर है। बी प्लस व बी में एमपी की कोई कम्पनी नहीं है और बाकी बची दोनों ही कम्पनियां मध्य क्षेत्र व पूर्व क्षेत्र विद्युत वितरण कम्पनी सी प्लस कैटेगरी में शामिल की गई हैं। इन दोनों ही कम्पनियों का परफार्मेंस यूपी और बिहार की विद्युत वितरण कम्पनियों से ज्यादा खराब है जहां बिजली कटौती और बिजली से जुड़ी अन्य शिकायतें अधिक आती रही हैं। यहां की कम्पनियां बी प्लस व बी ग्रेड में रखी गई हैं।

भारत संचार निगम लिमिटेड के घाटे का दंश मध्यप्रदेश की बिजली कम्पनियों को भी झेलना पड़ रहा है। भारत सरकार का उपक्रम होने के कारण बिजली कम्पनियां इस निगम के दफ्तरों में कनेक्शन नहीं काट पा रहे हैं और इसका खामियाजा भारी भरकम बिजली बिल के एरियर्स के रूप में सामने आ रहा है। ऊर्जा विभाग के अफसरों के मुताबिक तीनों ही विद्युत वितरण कम्पनियों के इलाके में बीएसएनएल के बिजली बकाया की राशि करोड़ों में है जिसका भुगतान नहीं हो पाने से बिजली कम्पनियों को रेवेन्यू लॉस का सामना करना पड़ रहा है। पिछले दिनों राजस्व वसूली की समीक्षा के दौरान यह बात सामने आई थी कि पूर्व क्षेत्र विद्युत वितरण कम्पनी के क्षेत्र में संचालित बीएसएनएल के दफ्तरों का बकाया सर्वाधिक है। अकेले इस रीजन के अंतर्गत बीएसएनएल पर 14 करोड़ रुपए से अधिक का बिल भुगतान होना बकाया है।

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