मध्यक्रम में ठोस बल्लेबाज की कमी खली : रवि शास्त्री

नयी दिल्ली
भारत के विश्वकप के सेमीफाइनल में न्यूजीलैंड से हारकर बाहर हो जाने के बाद कोच रवि शास्त्री ने स्वीकार किया है कि टीम को मध्यक्रम में एक मजबूत बल्लेबाज की कमी खली। विश्वकप में भारत का मध्यक्रम जूझता रहा और सेमीफाइनल में शीर्ष क्रम के पतन के बाद संभल नहीं पाया। विश्वकप से पहले, टूर्नामेंट के दौरान और टूर्नामेंट के बाद मध्यक्रम में चार नंबर को लेकर चर्चा लगातार जारी है। इस क्रम ने भारतीय बल्लेबाजी को कमजोर किया, खासतौर पर सेमीफाइनल में। भारत ने चार नंबर पर लोकेश राहुल, हार्दिक पांड्या, विजय शंकर और रिषभ पंत को आजमाया लेकिन कोई भी बल्लेबाज इस क्रम पर 50 का स्कोर नहीं बना पाया। शास्त्री ने कहा कि हमें मध्यक्रम में एक मजबूत बल्लेबाज की जरुरत थी। विश्वकप का सफर समाप्त हो चुका है और हमें भविष्य की तरफ देखना होगा। इस क्रम ने हमें हमेशा परेशान और हम इसका हल नहीं निकाल पाए। कोच ने कहा कि राहुल चार नंबर पर थे लेकिन शिखर धवन के चोटिल होने के बाद उन्हें ओपनिंग पर जाना पड़ा। विजय शंकर भी थे लेकिन वह भी चोटिल हो गए और हम हालात को नियंत्रित नहीं कर पाए। 

शंकर के चोटिल होने के बाद ओपनर मयंक अग्रवाल को बुलाए जाने पर शास्त्री ने कहा कि जबतक मयंक हमसे जुड़े ज्यादा समय नहीं बचा था। यदि सेमीफाइनल से पहले हमारे पास एकाध मैच और होता तो हम निश्चित रुप से कोशिश कर सकते थे कि मयंक को आजमा लिया जाए। महेंद्र सिंह धोनी को बल्लेबाजी क्रम में सातवें नंबर पर उतारे जाने के फैसले पर कोच ने कहा कि हम नहीं चाहते थे कि धोनी जल्दी उतरें और यदि वह जल्दी आउट हो जाते तो लक्ष्य का पीछा करना असंभव हो जाता। हम बाद में अनुभव को चाहते थे और सभी जानते हैं कि वह कितने बड़े फिनिशर हैं। इस मुद्दे पर पूरी टीम एकमत थी कि धोनी को बाद में उतारा जाए। शास्त्री ने साथ ही कहा कि धोनी शानदार खिलाड़ी हैं और यदि वह दुर्भाग्यपूर्ण ढ़ंग से रनआउट नहीं होते तो उनका समीकरण बिल्कुल सही चल रहा था कि किस बॉल को हिट करना है और जेम्स नीशम के आखिरी ओवर में कितना लक्ष्य रखना है। वह टीम को जीत दिलाना चाहते थे लेकिन इस तरह रन आउट होने की निराशा को आप उनके पवेलियन लौटते समय उनके चेहरे पर देख सकते थे।

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