मंदिर हो रहे बंद, मस्जिदों में उमड़ रहे नमाजी

नई दिल्ली
एक तरफ देशभर के ऐतिहासिक मंदिरों को बंद किया जा रहा है, प्रसिद्ध धार्मिक यात्राओं को स्थगित किया जा रहा है, तो दूसरी तरफ मस्जिदों में नमाज हो कि नहीं, इस पर चर्चा ही चल रही है। देश में ऐसा तब है जब दुनियाभर के कई मुस्लिम मुल्कों की मस्जिदों में एक साथ नमाज पढ़ने को लेकर पाबंदी की खबरें लगातार आ रही हैं। कई बड़े धर्मगुरुओं ने भी अपील करके लोगों से घरों में इबादत करने को कहा है।

शुक्रवार को मस्जिदों में उमड़ी भीड़
दिल्ली में किसी बड़ी मस्जिद या धर्मगुरु ने घरों से इबादत करने का ऐलान तो नहीं किया है लेकिन कई तरह की सावधानियां बरतने के लिए कहा जा रहा है। शुक्रवार को जुमे की नमाज सभी मस्जिदों में पढ़ी गई और नमाजियों की तादाद में कोई बहुत बड़ा अंतर नहीं दिखाई दिया। इस बीच आम मुसलमानों के बीच भी इस बात को लेकर बहस छिड़ गई है कि क्या इस वक्त मस्जिदों में जमा होकर नमाज पढ़ना सही है? इसके पक्ष और विपक्ष में तर्क दिए जा रहे हैं।

लोगों के बीच चल रही है जोरदार बहस
तमाम मुसलमान ऐसे भी हैं जो खुलकर यह सवाल उठा रहे हैं और सोशल मीडिया पर भी लिख रहे हैं कि क्या इस वक्त मस्जिद में जाकर सैकड़ों लोगों का एक साथ नमाज पढ़ना सही है? उनको कई लोग सपोर्ट कर रहे हैं तो कई लोग उनका विरोध भी करते नजर आ रहे हैं। सुभान गाजी लिखते हैं कि कोरोना तो एक महामारी है, पैगंबर मोहम्मद साहब ने तो तेज बारिश, ज्यादा कीचड़ और भारी सर्दी में भी नमाज घर पर अदा करने की बात कही है, उन्होंने अपनी बात को सिद्ध करने के लिए कई हदीसों के लिंक भी शेयर किए। लेकिन ऐसे भी लोग है जो हर उस मुसलमान का विरोध कर रहे हैं जो ऐसा सवाल उठा रहा है। हालांकि वो अपनी बातों को लेकर ज्यादा जज्बाती तर्क ही दे पा रहे हैं। सवाल उठाने वाले यह भी कह रहे हैं कि देश में कई मंदिरों और चर्च को बंद करने का ऐलान कर दिया गया है तो ऐसे में मुस्लिम धर्मगुरुओं को भी आगे आना चाहिए।

क्या कहते हैं मौलाना इस वक्त
जामा मस्जिद के शाही इमाम सैयह अहमद बुखारी ने जुमे की नमाज से पहले बयान में कहा कि यह बहुत ही खतरनाक बीमारी पूरी दुनिया में फैल गई है और भारत पर भी खतरा मंडरा रहा है। उन्होंने कहा कि मस्जिदों को बंद नहीं किया जा सकता लेकिन हम लोगों को सावधानियां रखनी हैं। उन्होंने लोगों से अपील की कि घरों से ही वुजु करके और सुन्नतें पढ़कर आएं ताकि मस्जिद में फर्ज नमाज ही पढ़ी जाए। हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि उलेमाओं की भी यही राय है कि जिन जगहों पर मजमा इकट्ठा हो वहां जाने से बचना चाहिए और एक दूसरे से फासला रखें और हाथ न मिलाएं।

इसी तरह ऑल इंडिया इमाम असोसिएशन के चीफ इमाम उमेर अहमद इलयासी कहते हैं कि मस्जिदों में जमात के साथ नमाज पढ़ने से किसी को रोका नहीं जा सकता है लेकिन कई तरह के कदम हम उठा रहे हैं। उन्होंने बताया कि ग्रैंड मुफ्ती सऊदी अरब, ग्रैंड मुफ्ती पाकिस्तान और ग्रैंड मुफ्ती ईरान ने यह ऐलान किया है कि मस्जिदों में सिर्फ फर्ज नमाज पढ़ने के लिए आएं। उन्होंने कहा कि मैंने भी इंडिया के तमाम इमामों और आम मुसलमानों से भी यही अपील की है।

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