मंत्रिमंडल विस्तार से खुली विभागों के पुनर्गठन की राह, 94 विभागों को 50 में समेटने की कवायद

 लखनऊ 
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार के पहले मंत्रिमंडल विस्तार से विभागों के पुनर्गठन की राह खुलती नजर आ रही है। इसका सबसे बड़ा प्रमाण सिंचाई और लघु सिंचाई जैसे अहम विभागों को समाहित करके जल शक्ति जैसे नए विभाग का गठन करना है। 
यह बात दीगर है कि इस विभाग की प्रेरणा केंद्र सरकार के जल शक्ति मंत्रालय से मिली है। जल से संबंधित सारे काम एक विभाग के दायरे में आने से काम आसान होगा। 

संबंधित मंत्री और अफसरों की जवाबदेही भी ज्यादा रहेगी। वैसे यूपी में सीएम योगी ने डा.महेंद्र सिंह को इस विभाग की जिम्मेदारी सौंपी है।  प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट नमामि गंगे सहित नदी विकास का काम भी इस विभाग के दायरे में शामिल होगा। मंत्रिमंडल विस्तार से पहले हालांकि जब यूपी कैबिनेट में विभागों के पुनर्गठन का प्रस्ताव मंजूरी के लिए लाया गया था, तब इस पर चर्चा के बाद कैबिनेट ने यह तय किया था कि इस प्रस्ताव पर एक बार फिर से विचार कर लिया जाए। इसलिए इस प्रस्ताव को वापस भेज दिया गया।

इस प्रस्ताव को लाने के पीछे मकसद यह था कि 94 भारी भरकम विभागों की संख्या कम करके 50 के अंदर समेट दी जाए। कम विभाग होने से कामकाज में आसानी होगी। जिस समय यह प्रस्ताव लाया गया था, उस समय माना जा रहा था कि मंत्रिमंडल विस्तार विभागों के पुनर्गठन के बाद ही होगा। लेकिन उसके वापस जाने से यह लगने लगा था कि यह मामला ठंडे बस्ते में चला गया। लेकिन विस्तार के बाद विभागों के वितरण में जल शक्ति विभाग के गठन ने इस बात को बल दिया है कि भविष्य में निश्चित रूप से विभागों के पुनगर्ठन का प्रस्ताव कैबिनेट से मंजूर हो सकेगा। 

केशव मौर्य को दे दिया  खत्म विभाग भी 
डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य को खत्म विभाग भी दे दिया गया है। हालांकि यह विवाद का विषय नहीं, लेकिन मानवीय भूल जरूर है। मौर्य को वही पुराने विभाग दिए गए हैं जो मार्च, 2017 में सरकार बनने के बाद पहली बार दिए गए थे। लेकिन 24 अप्रैल, 2018 को जीएसटी आने के बाद मनोरंजन कर विभाग को खत्म करके वाणिज्यकर विभाग में विलय कर दिया गया। इसके बाद उसके कार्मिकों को भी वाणिज्यकर विभाग में समाहित कर दिया गया। खत्म हुए विभाग को दोबारा श्री मौर्य को बांटना संबंधित विभाग की चूक है।  वाणिज्य कर विभाग में समाहित मनोरंजन कर विभाग के कार्मिकों को वह तरजीह नहीं दी जा रही, जो दी जानी चाहिए। 

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