भोपाल के कान्हासैया में 37 करोड़ रुपए का इंडो-इजराइल प्रोजेक्ट तैयार

भोपाल, छिंदवाड़ा में इजराइल की तर्ज पर संतरे की खेती

भोपाल
मध्यप्रदेश में अब संतरे का रंग और खिलने वाला है। कमलनाथ सरकार जल्द ही प्रदेश के तीन जिलों मुरैना, छिंदवाड़ा व भोपाल के कान्हासैया में करीब 37 करोड़ रुपए की लागत से इंडो-इजरायल प्रोजेक्ट शुरू होने जा रही है। इसके तहत इजरायल के पैटर्न पर उद्यानिकी विभाग फलों व सब्जियों का हब तैयार करेगा। इमें इजरायल के पैटर्न पर फलों व सब्जियों की खेती होगी। इसमें मीठे संतरे की खेती के जरिए किसानों की आय दोगुनी करने में मदद मिलेगी। उद्यानिकी विभाग ने इसके लिए योजना तेयार की है। अभी देश में 9 राज्य में में इस तकनीक से फलों व सब्जियों की खेती होती है। देश में 40 फीसदी क्षेत्र ऐसा है, जहां इजरायल तर्ज पर खेती हो सकती है। इसलिए इंडो-इजरायल प्रोजेक्ट शुरू हो रहा है। इस पर कुल करीब 37 करेाड़ रुपए खर्च होंगे। छिंदवाड़ा में 12.46 करोड़, मुरैना में 12.48 करोड़ व भोपाल के कान्हासैया में 12.50 करोड़ रुपए खर्च होंगे। यह प्रोजेक्ट केंद्र सरकार के सहयोग से शुरू करने का कार्यक्रम बनाया गया है।

इसमें इजरायली एजेंसियां खुद यहां आकर किसानों को प्रशिक्षण देगी। इसके लिए अंतरराष्ट्रीय विकास निगम से मदद मिलेगी। व्यावसायिक व तकनीकी प्रशिक्षण के लिए भारत व इजराइल दोनों देशों के संयुक्त प्रयास से किसानों को प्रशिक्षण दिया जाएगा। इसे मिशन मोड पर करने का निर्णय लिया गया है।

मप्र में संतरे के उत्पादन की संभावनाएं सबसे अधिक

देश में कुल रकबे का 40 फीसदी संतरे की खेती के लिए उपयुक्त है। किंतु अभी संतरे का सबसे अधिक उत्पादन चीन में होता है। यहां कुल करीब 29.56 लाख मिट्रिक अन संतरे का उत्पादन होता है। दूसरे नंबर पर ब्राजली में करीब 18.96 लाख मिट्रिक टन होता है। जबकि इसके मुकाबले भारत में काफी कम है। यहां महज 104 लाख मीट्रिक टन उत्पादन होता है। वह भी 26 राज्यों में होता है। इसमें भी 9 राज्यों में भारत में होने वाले कुल उत्पादन में से 89 फीसदी होता है।

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