भारत से बचने की हर मुमकिन कोशिश में विजय माल्या 

 
लंदन 

भारत से फरार चल रहे शराब कारोबारी विजय माल्या के बचने के अभी सारे दरवाजे बंद नहीं हुए हैं. अपने प्रत्यर्पण के खिलाफ लंदन में सुप्रीम कोर्ट स्तर पर उसे अपील करने की इजाजत भले न मिली हो लेकिन उसके सामने अभी तीन विकल्प खुले हैं जिन पर वह विचार कर सकता है. ब्रिटेन के गृह सचिव के समक्ष भी वह अपील कर सकता है.

विजय माल्या आगे क्या कर सकता है, इसके बारे में प्रत्यर्पण कानून के विशेषज्ञ बैरिस्टर मुथूपंडी गणेशन ने कहा, कुछ नए सबूतों और कोविड-19 जैसे संकट की बात कर वह गृह सचिव से अपील कर सकता है. हालांकि उसकी ओर से सबूत इतने मजबूत जरूर होने चाहिए जिस पर गृह सचिव या हाई कोर्ट विचार करने पर मजबूर हों. उन्होंने कहा, आगे की सुनवाई शुरू हो सकती है क्योंकि आर्थर रोड जेल में इतनी सुविधाएं नहीं हैं जो विजय माल्या को कोविड-19 से सुरक्षित रख सकें.
 
बता दें, 10 दिसंबर 2018 को वेस्टमिंस्टर कोर्ट ने विजय माल्या के प्रत्यर्पण का आदेश दिया था. गृह सचिव ने 3 फरवरी 2019 को प्रत्यर्पण संधि पर हस्ताक्षर किया था. बाद में विजय माल्या ने इस अपील को हाई कोर्ट में चुनौती दी जिस पर इस साल फरवरी में सुनवाई हुई. लॉर्ड जस्टिस स्टीफन इरविन और जस्टिस एलिजाबेथ लेंग की दो सदस्यीय बेंच ने विजय माल्या की अपील पर सुनवाई की. 20 अप्रैल को इस बेंच ने माल्या के खिलाफ प्रथम दृष्टया मजबूत केस पाया. बाद में हाई कोर्ट ने माल्या को सुप्रीम कोर्ट में अपील करने की इजाजत देने से मना कर दिया.

अब आगे विजय माल्या गृह सचिव के समक्ष अपील कर सकता है या नहीं, इस पर फैसला लेने का अधिकार गृह सचिव पर ही निर्भर करता है. गृह सचिव स्तर पर अपील करने के लिए अलग से कुछ कानून हैं जिन्हें ध्यान में रख कर आगे बढ़ना होगा. गणेशन ने बताया कि माल्या के प्रत्यर्पण का अंतिम फैसला गृह सचिव पर निर्भर करता है. अगर कोई नए सबूत पेश किए जाएं या कोई राष्ट्रीय सुरक्षा का मसला हो तो इस पर फैसला लिया जा सकता है.
 
विजय माल्या के बचने का अगला विकल्प इमीग्रेशन हो सकता है जिसे वह राजनीतिक संरक्षण के तौर पर प्राप्त कर सकता है. उसे संरक्षण इमीग्रेशन नियमों के तहत मिल सकता है लेकिन इसका कानून बिल्कुल अलग है. उसे यह साबित करना होगा कि अगर वह भारत वापस जाता है तो उसे सताया जा सकता है. बचने का तीसरा और अंतिम विकल्प यूरोप की मानवाधिकार अदालत है. ब्रिटेन अभी ब्रेक्जिट के ट्रांजिशन फेज (ब्रिटेन अभी यूरोपीय यूनियन से बाहर नहीं हुआ है) में है. इसलिए विजय माल्या यूरोपियन कोर्ट ऑफ ह्यूमन राइट्स के रूल 39 के तहत प्रत्यर्पण टालने का आग्रह कर सकता है. वह कोर्ट में कह सकता है कि भारत भेजने से पहले उसका पक्ष सुना जाना चाहिए.
 

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