भारत से चीन नहीं उठा पाएगा जंग का जोखिम, लद्दाख की सीमा पर तनावपूर्ण हालात

पेइचिंग
लद्दाख की सीमा पर तनावपूर्ण हालात बने हुए हैं। दोनों देशों के बीच बातचीत में शांति से समाधान निकालने का वादा करने के बावजूद चीन का युद्धाभ्यास जारी है। ऐसे में निकट भविष्य को लेकर कई तरह की अटकलें भी लग रही हैं। वहीं, भारतीय सेना के पूर्व अध्यक्ष जनरल बिक्रम सिंह का मानना है कि चीन के मौजूदा हालात ऐसे नहीं हैं कि वह युद्ध जैसी स्थिति पैदा करे, बल्कि वह एक तीर से दो निशाने मारने की फिराक में है। जनरल सिंह का कहना है दोनों देशों को इसका शांतिपूर्ण समाधान निकालना होगा क्योंकि दुनिया बहुत बड़ी है और इसमें दो महाशक्तियों के रहने के लिए बहुत जगह है।

जरनल सिंह ने सीएनएन के लिए एक संपादकीय में बताया है कि अपने घर के अंदर कोरोना वायरस से पैदा हुए हालात के साथ-साथ दुनियाभर के निशाने पर खड़ा चीन, हिमालय में कोई खतरा नहीं उठाएगा। भारत उसका मुख्य क्षेत्रीय रणनीतिक प्रतिद्वंदी है और भारत के साथ कोई विवाद न सिर्फ चीन की परेशानी बढ़ाएगा बल्कि 2050 तक ग्लोबल सुपरपावर बनने की उसकी ख्वाहिश भी लटक जाएगी।

जनरल सिंह का कहना है कि शी जिनपिंग के सामने चीन की सिकुड़ती अर्थव्यवस्था, अमेरिका के साथ खड़ा हुआ ट्रेड-विवाद, उत्पादन इकाइयों का बाहर जाना और बेल्ट ऐंड रोड इनिशेटिव जैसी चुनौतियां खड़ी हैं। वहीं, हॉन्ग-कॉन्ग में विरोध प्रदर्शन, ताइवान का कठोर रुख और कोरोना वायरस को लेकर दुनियाभर में उठ रही जांच की मांग ने उसका सिर दर्द बढ़ा दिया है। दूसरी ओर पाकिस्तान को छोड़कर एशिया के बाकी सभी देशों में चीन के बर्ताव और कोरोना में भूमिका को लेकर उसके खिलाफ माहौल बन चुका है।

चीन को भारत की सेना की ताकत का भी पूरा अंदाजा है। उसने देखा है कि 1962 की जंग के बाद से भारत की सेना और ज्यादा काबिल, जिम्मेदार और रिस्पॉन्सिव हो चुकी है। दोनों देशों की सेनाएं कई साल से एक साथ आपदा की स्थिति में राहत और बचाव कार्य एक साथ करती हैं और आतंकवाद के खिलाफ ऑपरेशन में भी साथ काम करती हैं। ऐसे में एक-दूसरे की सैन्य ताकत की समझ बढ़ चुकी है और दोनों ही ऐसी कोई नौबत नहीं चाहेंगी क्योंकि उन्हें पता है कि उसका नतीजा क्या होगा। खासकर तब जब भारत ने हाल के समय में यह साबित करने में हिचकिचाहट नहीं दिखाई है कि उकसाए जाने पर वह ताकत का इस्तेमाल कर सकता है।

जनरल सिंह का मानना है कि पेइचिंग शायद सीमा पर तनाव की स्थिति के जरिए भारत को संदेश देने की कोशिश कर रहा है। दरअसल, भारत भी बाकी दुनिया के साथ कोरोना को लेकर जांच की मांग कर रहा है। साथ ही, भारत ने चीन से प्रत्यक्ष विदेशी निवेश को अप्रूव करने के ऑटोमैटिक रूट को ब्लॉक कर दिया है। दूसरी ओर भारत और अमेरिका के बीच संबंध गहराते दिख रहे हैं। चीन बाहरी चुनौतियों से निपटने के लिए डराने-धमकाने के लिए जाना जाता है। देश के अंदर सरकार की विफलताओं के खिलाफ उठने वाली आवाजों को राष्ट्रवाद की छाया में छिपा दिया जाता है। सीमा पर तनाव पैदा करके वह एक तीर से दो निशाने लगाने की फिराक में है।

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