भारत में कम्युनिटी ट्रांसमिशन शुरू, सच स्वीकारे सरकार: विशेषज्ञ

नई दिल्ली
देश में कोरोना अब तेजी से पैर पसार रहा है और रोज 10 हजार से अधिक नए मामले सामने आ रहे हैं। भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) के सीरो सर्वे के मुताबिक देश में अब तक इसका कम्युनिटी ट्रांसमिशन नहीं हुआ है। हालांकि, विशेषज्ञों का मानना है कि आईसीएमआर के सर्वे में देश की मौजूदा स्थिति स्पष्ट नहीं होती है और सरकार सचाई स्वीकार करने में हठ दिखा रही है।

'कम्युनिटी ट्रांसमिशन शुरू, सचाई स्वीकारे सरकार'
इन विशेषज्ञों के कहना है कि देश के कई हिस्सों में कोरोना का कम्युनिटी ट्रांसमिशन हो चुका है। सरकार को यह सचाई स्वीकार करना चाहिए ताकि लोगों को लापरवाह होने से बचाया जा सके। देश में कोरोना संक्रमितों की संख्या 3 लाख से ऊपर पहुंच चुकी है। भारत दुनिया में कोरोना से सबसे अधिक प्रभावित देशों की सूची में अमेरिका, ब्राजील और रूस के बाद चौथे स्थान पर है।

आईसीएमआर का सीरो सर्वे
आईसीएमआर के डायरेक्टर जनरल बलराम भार्गव ने गुरुवार को सीरो सर्वे की रिपोर्ट जारी करते हुए कहा था कि भारत अभी कोरोना के कम्युनिटी ट्रांसमिशन चरण में नहीं पहुंचा है। हालांकि, वायरोलॉजी, पब्लिक हेल्थ और मेडिसिन के विशेषज्ञ इससे इत्तेफाक नहीं रखते हैं। देश में कोरोना वायरस के संक्रमण का ट्रेंड जानने के लिए पहली बार सीरो सर्वे कराया गया था। 65 जिलों में 26,400 लोगों के बीच कराए गए सर्वे में केवल 0.73 फीसदी लोगों में ही कोरोना पाया गया।

इतने बड़े देश के लिए सर्वे नाकाफी
एम्स के डायरेक्टर रहे डॉ. एम सी मिश्रा के मुताबिक इसमें कोई संदेह नहीं है कि देश के कई हिस्सों में कोरोना का कम्युनिटी ट्रांसमिशन हो चुका है। उन्होंने कहा, 'बड़े पैमाने पर पलायन और लॉकडाउन की पाबंदियों में ढील से कोरोना और तेजी से फैल रहा है। अब यह बीमारी ऐसे इलाकों में भी फैल चुकी है जहां पहले कोई केस नहीं था। समय आ गया है कि सरकार को इस सच्चाई को स्वीकार करना चाहिए ताकि लोग इसे लेकर ज्यादा सतर्क हो जाएं और इसे हल्के में न लें।'

आईसीएमआर के सीरो सर्वे के बारे में उन्होंने कहा कि इसमें करीब 26400 लोगों के नमूने लिए गए थे जो कोरोना के व्यापक संक्रमण को देखते हुए पर्याप्त नहीं हैं। देश की बड़ी आबादी और विविधता को देखते हुए यह सर्वे देश में कोरोना की वास्तविक तस्वीर बयां नहीं करता है।

सरकार है कि मानती नहीं
जाने माने वायरोलॉजिस्ट शाहिद जमील ने कहा कि भारत बहुत पहले ही कम्युनिटी ट्रांसमिशन के दौर में पहुंच चुका था। उन्होंने कहा,'सरकार यह मानने को तैयार नहीं है। एसएआरआई (सीवियर ऐक्यूट रेस्पिरेटरी इलनैस) के बारे में आईसीएमआर की अपनी स्टडी में बताया गया है कि कोविड पॉजिटिव पाए गए 40 फीसदी मामलों में मरीज न तो विदेश यात्रा पर गए थे और न ही किसी अन्य मरीज के संपर्क में आए थे। अगर यह कम्युनिटी ट्रांसमिशन नहीं है तो क्या है?'

दिल्ली, मुंबई और अहमदाबाद में कम्युनिटी ट्रांसमिशन
प्रख्यात सर्जन डॉ. अरविंद कुमार ने कहा कि अगर आईसीएमआर की दलील को मान भी लिया जाए तब भी इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता है कि दिल्ली, अहमदाबाद और मुंबई जैसी जगहों में कम्युनिटी ट्रांसमिशन हो रहा है।

दिल्ली के सर गंगा राम अस्पताल में से जुड़े डॉ. कुमार ने कहा,'भारत बड़ा देश है और हर राज्य में वायरस की अलग स्थिति है। यह अलग-अलग समय पर पीक पर पहुंच रहा है। एंटीबॉडीज को डेवलप होनां में दो हफ्ते का समय लगता है। यह सर्वे अप्रैल में कोरोना की स्थिति बताता है जब हम सबसे अच्छी स्थिति में थे। अप्रैल के आंकड़ों से यह दावा करना गलत है कि कि हम कम्युनिटी ट्रांसमिशन के चरण में नहीं हैं।'

 

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