नॉमिनी कर सकता है बैंक लॉकर का इस्तेमाल
नई दिल्ली
आप कहीं भी पूंजी निवेश करते हैं तो आपके बाद उसका मालिक कौन होगा, यह तय कर लेना भी आवश्यक है। यही बात लॉकर में भी लागू होती है। अगर आप अकेले या संयुक्त रूप से लॉकर खुलवाते हैं तो भी नॉमिनी का उल्लेख किया जाना आवश्यक होता है। किसी अनहोनी में लॉकर धारक की मृत्यु हो जाने पर मृतक के नॉमिनी को लॉकर इस्तेमाल करने की छूट दी जाती है। यह बात एकल और संयुक्त लॉकर धारक दोनों के मामले में लागू होती है।
अक्सर लोग पैसा, स्वर्ण आभूषण या अन्य कीमती सामान दूसरों से छिपाने के लिए भी लॉकर में रख देते हैं। वे इस बारे में किसी को बताना नहीं चाहते। विशेषज्ञों का कहना है कि लॉकर धारकों को कम से कम किसी को एक नॉमिनी बनाकर उसे इसकी जानकारी जरूर देनी चाहिए। बैंक में सेफ डिपॉजिट लॉकर खुलवाने वाला व्यक्ति (होल्डर) नॉमिनी को भी पंजीकृत कर सकता है। अगर किसी अनहोनी की वजह से लॉकर धारक की मौत हो जाती है तो नॉमिनी इसका इस्तेमाल कर सकता है। इसके लिए लंबी कागजी कार्यवाही से गुजरना नहीं पड़ता, अन्यथा यह विवाद का विषय बन जाता है और बैंकों से लेकर अदालत तक चक्कर लगाने पड़ते हैं।
अगर लॉकर धारक व्यक्ति की मौत हो जाती है तो कागजातों में पहले से ही नामित होने का फायदा मिलता है। नॉमिनी को अगर लॉकर का इस्तेमाल करना है तो लॉकर खुलवाने वाले व्यक्ति के मृत्यु प्रमाणपत्र की प्रतिलिपि देनी पड़ेगी। केवाईसी गाइडलाइंस के अनुसार नॉमिनी का फोटो पहचान पत्र भी आवश्यक है। लॉकर आवेदन के फॉर्म के अनुसार उसका प्रमाणीकरण भी कराया जाएगा। दरअसल, बैंक को पता चलता है कि लॉकर धारक में से किसी एक की मौत हो गई है तो वह उसे सील कर देता है और उस पर डिसीज्ड क्लेम की स्लिप लगा दी जाती है।
अगर लॉकर संयुक्त रूप से चलाया जा रहा है तो एक की मृत्यु दूसरा धारक उसका संचालन कर सकता है। वह नॉमिनी के साथ भी उस लॉकर को चलाने का आवेदन कर सकता है। इसके लिए भी लॉकरधारक की मृत्यु प्रमाणपत्र की प्रतिलिपि, पहचानपत्र और अन्य दस्तावेज देने होते हैं। ध्यान रखें कि लॉकर को चलाने के लिए 'आइदर या सर्वाइवर' या फिर 'एनीवन ऑर सर्वाइवर' मोड रखा गया है, तभी जीवित दूसरे होल्डर को लॉकर इस्तेमाल करने की अनुमति मिलेगी। पहले लॉकर धारक की मृत्यु के प्रमाणित हो जाने के बाद बैंक लॉकर से चीजों को हटाने की अनुमति दे देगा।
लॉकर से चीजें निकालने की अनुमति से पहले बैंक का लॉकर संरक्षक सामान्यतया बैंक मैनेजर वस्तुओं की पूरी सूची बनाती है। यह सूची नॉमिनी या जीवित दूसरे लॉकर धारक की मौजूदगी में बनाई जाती है। इसमें गवाह की भी जरूरत पड़ सकती है।
सरकारी और निजी बैंक ग्राहकों को लॉकर की सुविधा देते हैं। बैंक में बगैर खाते के भी लॉकर खोला जा सकता है। लेकिन जहां आपका बचत खाता हो, वहीं लॉकर खुलवाना बेहतर है। अन्यथा बैंक आप पर एफडी या किसी अन्य योजना में निवेश करने का दबाव बनाता है। ऐसे में आप पर लॉकर का शुल्क और एफडी का दोहरा बोझ पड़ता है। आरबीआई के नियमों के मुताबिक, बैंक लॉकर के तीन साल के किराये के बराबर एफडी खुलवाने के लिए कह सकता है। ऐसे में अगर कोई किराया नहीं जमा करता है तो भी बैंक को झंझट नहीं होता।