भारत को न्यूजीलैंड से मिली हार ने जो बताया- ज्यादातर खिलाड़ियों के मन में टी20 फॉर्मेट बैठ गया 

 
न्यूजीलैंड में टीम इंडिया के प्रदर्शन ने भारतीय क्रिकेटप्रेमियों की चिंता बढ़ा दी है। टी-20 सीरीज में शानदार जीत दर्ज करने के तुरंत बाद वनडे और टेस्ट मैचों की सीरीज में बुरी तरह ध्वस्त होने से टीम की कुछ बुनियादी कमजोरियां उजागर हो गई हैं। ऐसा पहले भी कहा जा चुका है कि आईपीएल ने भारतीय क्रिकेट पर गहरा असर डाला है और क्रिकेटरों के लिए वही सफलता की कसौटी बन गया है।

हर खिलाड़ी के मन में टी-20 का फॉर्मेट गहराई से बैठ गया है और वही भारतीय क्रिकेट का चरित्र बनता जा रहा है। इसका दुष्परिणाम यह हुआ है कि हमारे खिलाड़ी बाकी प्रारूपों में सफल नहीं हो पा रहे हैं। बल्लेबाजों में टिककर खेलने की प्रवृत्ति का अभाव होता जा रहा है, जो एकदिवसीय और खासकर टेस्ट मैचों में बेहद जरूरी है। भारतीय टीम टेस्ट मैचों की कुल चार पारियों में से सिर्फ एक में 250 रन के आसपास मुश्किल से पहुंच पाई। अच्छे से अच्छे बैट्समैन भी पचास रन का आंकड़ा छूते ही धैर्य खोकर आउट हो गए।
कई पूर्व क्रिकेटरों ने इस ओर ध्यान खींचा है। वीवीएस लक्ष्मण ने कहा कि बल्लेबाज विकेट पर रुकने के लिए जरूरी अनुशासन नहीं दिखा सके। पूर्व कप्तान कपिल देव ने कहा कि हर मैच में एक अलग टीम बनाने की रणनीति महंगी पड़ी। उनकी राय है कि फॉर्मेट के आधार पर टीम चुनने के बजाय फॉर्म के आधार पर किसी खिलाड़ी को टीम में जगह मिलनी चाहिए थी। अगर कोई खिलाड़ी फॉर्म में है तो उसे सिर्फ इस आधार पर बाहर नहीं कर दिया जाना चाहिए कि वह दूसरे प्रारूप का खिलाड़ी है।

एक खिलाड़ी फॉर्म में होता है तो उसे खेलने की जरूरत होती है। कपिल ने रेखांकित किया कि आज टीम में किसी खिलाड़ी की जगह पक्की नहीं है। क्रिकेटर अगर टीम में अपनी जगह को लेकर आश्वस्त न हो तो उसकी लय बिगड़ जाती है। बार-बार टीम बदलने से खिलाड़ियों में अच्छा तालमेल नहीं बन पाता, जिसका असर टीम के प्रदर्शन पर पड़ता है। न्यूजीलैंड की तेज पिचों पर बल्लेबाजी करना कभी आसान नहीं होता। इस बार हमने बल्लेबाजों की बेंच स्ट्रेंथ को भी आजमाया पर निराशा हाथ लगी।

रही बात भारतीय गेंदबाजी की तो हमारे गेंदबाजों ने अपने सारे हथियार आजमाए पर कीवी बल्लेबाजों ने भारतीय बैट्समैनों की तरह जल्दबाजी नहीं दिखाई। इस बीच भारतीय गेंदबाजी की एक पुरानी कमजोरी भी उभर आई कि वे निचले क्रम के बल्लेबाजों को जल्दी आउट नहीं कर पाए।

कप्तान विराट कोहली ने भी स्वीकार किया है कि हमें वनडे में विपरीत परिस्थितियों में टिककर खेलने वाला एक बल्लेबाज चाहिए। वह खुद इस दौरे में लगातार मामूली स्कोर पर आउट होते रहे। इस दौरान उनकी कप्तानी की आक्रामक शैली की सीमाएं भी सामने आ गई हैं। शांत रहने वाले कैप्टन की तुलना में अग्रेसिव कैप्टन की कमजोर नसें जल्दी दिख जाती हैं। बेहतर होगा कि प्रबंधन इन तमाम पहलुओं पर विचार करे और टीम को नए सिरे से तराशे।
 

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