भारत के दीपक बने ऑस्ट्रेलिया में विधायक, जानें कार धोने से MLA बनने तक की कहानी

टेरिटरी

मध्यमवर्गीय परिवार में जन्म लेने वाले दीपक राज गुत्ता ने पढ़ाई पूरी करने के लिए क्या-क्या पापड़ नहीं बेले. उन्होंने चंडीगढ़ से ऑस्ट्रेलिया पहुंचने के बाद कारों की धुलाई से रेस्टोरेंट में भी काम किया. गुप्ता ने मंगलवार को ऑस्ट्रेलियाई कैपिटल टेरिटरी (ACT) विधानसभा में पहले भारतीय-आस्ट्रेलियाई सदस्य के तौर पर शपथ ली.  

गुप्ता ने गुंगाहलिन विधानसभा क्षेत्र के विधायक के तौर पर हाथ में भगवद् गीता लेकर शपथ ली. वो ACT में भी लेबर पार्टी से पहले भारतीय मूल के ऑस्ट्रेलियाई विधायक हैं. गुप्ता 1989 में इन्फॉर्मेशन टेक्नोलॉजी पढ़ने के लिए ऑस्ट्रेलिया गए थे. उन्हें 1991 में ऑस्ट्रेलिया की स्थायी रिहायश (पीआर) प्रदान की गई.

गुप्ता के भाई अनिल राज चंडीगढ़ में रहते हैं. अनिल राज ने इंडिया टुडे को बताया कि उनका परिवार इस सम्मान से अभिभूत है. अनिल राज के मुताबिक दीपक राज गुप्ता 2016 में हुए चुनाव में गुंगाहलिन विधानसभा क्षेत्र में वोट काउंट में दूसरे नंबर पर रहे. गुंगाहलिन कैनबरा का चौथे नंबर का बड़ा शहर है. 2016 में इस सीट से जो विजेता रहा उसने हाल में इस्तीफा दे दिया, इसलिए दीपक राज गुप्ता नियमों के मुताबिक क्षेत्र के विधायक बन गए.  

ACT विधानसभा में भगवद् गीता के साथ शपथ लेने वाले गुप्ता पहले निर्वाचित सदस्य हैं. आस्ट्रेलियाई-भारतीय समुदाय के सक्रिय नेता गुप्ता को सामुदायिक सेवा के लिए कई अवॉर्डों से नवाजा जा चुका है. ACT सरकार ने 2012 में उन्हें कम्युनिटी एडवोकेट अवॉर्ड से सम्मानित किया.  

दीपक राज गुप्ता के भाई अनिल राज ने उनके संघर्ष के बारे में बताया. अनिल राज के मुताबिक उनका परिवार 1973 में चंडीगढ़ आकर बसा था. दीपक राज गुप्ता ने गवर्मेंट सीनियर सेकेंडरी स्कूल और डीएवी कॉलेज से पढ़ाई पूरी की.

दीपक जब ऑस्ट्रेलिया पहुंचे तो उनकी जेब में सिर्फ 150 डॉलर थे. उन्होंने ऑस्ट्रेलिया में पढ़ाई का खर्च पूरा करने के लिए कारों की धुलाई के साथ रेस्टोरेंट में भी काम किया. बाद में वे डिफेंस डिपार्टमेंट में एग्जीक्यूटिव ऑफिसर बने. दीपक राज गुप्ता ऑस्ट्रेलिया-भारत बिजनेस काउंसिल (AIBC) के भी 10 साल तक अध्यक्ष रह चुके हैं. इसके अलावा वे AIBC के नेशनल एग्जीक्यूटिव बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स के सदस्य भी रहे हैं. 

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