भरतपुर की घटना पर ओवैसी का ट्वीट, कहा- मुसलमानों के प्रति नफरत नई ऊंचाई पर
नई दिल्ली
राजस्थान के भरतपुर में एक सरकारी अस्पताल में गर्भवती महिला का इलाज धर्म के आधार पर ना किए जाने का मामला तूल पकड़ता जा रहा है. यह मामला खबरों में आने के बाद सोशल मीडिया पर भी इस मुद्दे को लेकर चर्चा छिड़ चुकी है. इसी क्रम में एआईएमआईएम के मुखिया असदुद्दीन ओवैसी ने भी राज्य की गहलोत सरकार पर निशाना साधा है.
ओवैसी ने इस मामले को लेकर कुछ ट्वीट किए हैं. औवैसी ने ट्विटर पर राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को टैग करते हुए कहा है कि कर्मचारियों को आम अपराधियों के रूप में दंडित किया जाना चाहिए और उन्हें ऐसी सजा मिलनी चाहिए जो मिसाल बन जाए.
ओवैसी ने अपने ट्वीट में आगे लिखा है कि वे एक मासूम की मौत के लिए जिम्मेदार हैं. क्या हमें अब स्वास्थ्य सेवा मांगना बंद कर देना चाहिए? मुस्लिम विरोधी घृणा हर रोज नई ऊंचाइयों तक पहुंचती जा रही है और हमारी जिंदगियां लील रही है.
ओवैसी ने अपने अगले ट्वीट में इस समस्या को लेकर कुछ सवाल भी खड़े किए हैं. ओवैसी ने लिखा है कि क्या हिंदुत्व का कट्टरपंथ इतना भयंकर हो गया है क्योंकि इसे सरकार का समर्थन प्राप्त है या क्योंकि यह समाज के एक बड़े वर्ग द्वारा गले लगाया गया है? क्या इससे मुकाबला करने के लिए कुछ किया जाएगा?
महिला के पति ने बताई पूरी कहानी
ओवैसी ने अपने ट्वीट के साथ ही साथ एक स्थानीय पत्रकार का ट्वीट भी डाला है. उस ट्वीट के वीडियो में एक व्यक्ति खुद को उस गर्भवती महिला का पति बताते हुए पूरी घटना सिलसिलेवार ढंग से बता रहा है. उस व्यक्ति ने कहा, "मेरी वाइफ की डिलीवरी होनी थी, मेरी वाइफ को जब रात में दर्द उठा था तो मैं उसे सीएचसी लेकर गया. वहां ब्लीडिंग ज्यादा होने की वजह से उन लोगों ने कहा कि यहां ये कंट्रोल नहीं होगा आप इसे जिला अस्पताल लेकर जाओ और वहां से रेफर कर दिया."
इसके आगे की कहानी बताते हुए उसने कहा, "मैं गाड़ी कर के सुबह करीब आठ बजे जिला अस्पतपाल पहुंचा. वहां घंटों इधर-उधर चक्कर काटे, कोई डॉक्टर नहीं मिल रहा था. डॉक्टर मिला तो उसने मेरा नाम, गांव और पता लिखा. इसके बाद एक मैडम आईं और पूछा कि कहां के रहने वाले हो. नाम पूछा तो बताया इरफान खान. फिर वो बोलीं मतलब आप मुस्लिम हो. तो फिर तुम्हारा यहां कोई इलाज नहीं होगा. एक दूसरे डॉक्टर से कहा कि इनका रेफर कार्ड बना दो और जयपुर भेज दो. वहां से फिर मैं रोता हुआ अपनी वाइफ को लेकर बाहर निकल गया."
अंत में उस व्यक्ति ने अपने बच्चे की मौत का जिम्मेदार भरतपुर जिला अस्पताल के डॉक्टरों को ही ठहराया. उसने कहा, "मैं भरतपुर से बाहर नहीं निकला था कि रास्ते में मेरी मिसेज को डिलीवरी हो गई. डिलीवरी होने पर मेरा बच्चा जो था वो खत्म हो गया. मुझे लग रहा है कि मेरे बच्चे के खत्म होने का कारण भरतपुर जिला अस्पताल के डॉक्टरों की लापरवाही है. अगर ये लोग सुबह सही तरीके से मेरी मिसेज की देखभाल कर लेते तो मेरा बच्चा मेरे पास सुरक्षित होता."