बोर्ड के पुनर्गठन पर हो रही चर्चा, छत्तीसगढ़ में ऐसे मिलेगी सस्ती बिजली

रायपुर
 छत्तीसगढ़ में सत्ता परिवर्तन के साथ ही हर क्षेत्र में लोगों को उम्मीद की नई किरण नजर आने लगी है। पिछली सरकार में लंबे संघर्ष के बाद भी जो मुद्दे ठंडे पड़ गए थे, एक-एक कर वे भी उठने लगे हैं। इनमें बिजली कंपनी के इंजीनियर और कर्मचारी भी शामिल हैं। उन्होंने बिजली बोर्ड के एकीकरण की मांग तेज कर दी है। वे चाहते हैं राज्य में फिर से बिजली बोर्ड का गठन कर दिया जाए, या कंपनियों की संख्या कम कर दी जाए। तर्क है कि इससे न केवल कंपनियों का घाटा कम होगा, बल्कि उपभोक्ताओं को भी राहत मिलेगी। हाल ही में नवनिर्वाचित मुख्यमंत्री भूपेश बघेल से मिलने पहुंचे बिजली कर्मचारी महासंघ के प्रतिनिधिमंडल ने इस संबंध में सीएम को ज्ञापन भी सौंप दिया है।

कागज पर मुनाफे में कर्जदार वितरण कंपनी

खाता-बही में बिजली वितरण कंपनी मुनाफे में चल रही है, लेकिन वास्तव में कंपनी कर्जदार है। दूसरी कंपनियों के स्थापना व्यय के साथ कंपनी पर सरकारी योजनाओं का भी बोझ है।

यह हो सकता है समाधान

बिजली विशेषज्ञों के अनुसार सरकार बिजली कंपनियों की संख्या कम कर सकती है। इससे स्थापना व्यय और देनदारी भी कम हो जाएगी। खर्च कम होने से आम उपभोक्ताओं को भी राहत मिलेगा। बिजली सस्ती हो सकती है।

उपभोक्ताओं पर भी पड़ रहा असर

बिजली बोर्ड के कंपनी बनने के बाद से आम उपभोक्ताओं की बिजली दर लगातार बढ़ रही है। 10 वर्ष में दर 50 फीसद तक बढ़ चुकी है। इसके विपरीत बोर्ड के दौरान कुछ मौकों पर बिजली दर घटाई गई थी।

दो वर्ष से कर्जदार वितरण कंपनी

बिजली वितरण कंपनी पर आर्थिक बोझ बढ़ता जा रहा है। कंपनी को उत्पादन कंपनी को करीब दो हजार करोड़ स्र्पये का भुगतना करना है, लेकिन दो वर्ष हो गए कंपनी कर्ज नहीं चुका पा रही है।

तीन करोड़ पहुंचा ट्रेडिंग का स्थापना व्यय

बिजली ट्रेडिंग कंपनी का स्थापना व्यय तीन करोड़ तक पहुंच चुका है। 2016 में यह राशि दो करोड़ 15 लाख थी। इस पूरे खर्च को बिजली वितरण कंपनी को वहन करना पड़ रहा है।

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