बॉन्ड से जुटाए 7000 करोड़, कर्ज में डूबे एअर इंडिया को राहत

 
नई दिल्ली 

एअर इंडिया की हालत सुधारने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कामयाबी मिली है. एअर इंडिया के स्पेशल पर्पस व्हीकल एअर इंडिया एसेट्स होल्डिंग्स लिमिटेड (AIAHL) ने अपने कर्ज व परिसंपत्ति के हिस्से का हस्तांतरण करने के लिए बॉन्ड जारी करके 7,000 करोड़ रुपये जुटा लिए हैं. इससे कर्ज के भारी बोझ से दबे एअर इंडिया को कुछ राहत मिलेगी.

 एयरलाइंस को सुधारने के लिए कई तरह से प्रयास किए जा रहे हैं. इसी के तहत एक स्पेशल परपज व्हीकल बनाया गया है. अगले कुछ हफ्तों में कुल 22,000 करोड़ रुपये के बॉन्ड जारी करने की योजना है. कंपनी द्वारा सोमवार को जारी 7000 करोड़ रुपये के बॉन्ड की इस पेशकश को उम्मीदों से ज्यादा ग्राहकी मिली जिसमें एसबीआई बैंक, आईसीआईसीआई सिक्यरिटीज, एक्सिस बैंक, आईसीआईसीआई बैंक, एसबीआई कैपिटल जैसे खरीदारों का एक बड़ा खेमा शामिल था.  

न्यूज एजेंसी आईएएनएस के मुताबिक रेटिंग एजेंसी आईसीआरए ने एआईएएचएल के बांड को स्थिर आउटलुक के साथ 'एएए' की रेटिंग प्रदान की. इस पेशकश से विनिवेश की ओर उन्मुख एअर इंडिया को अपने कर्ज की भरपाई करने में मदद मिलेगी. कंपनी को इस पेशकश के लिए 20,830 करोड़ रुपये की बोली मिली, लेकिन उसने बॉन्ड की पूरी पेशकश के लिए 7,000 करोड़ रुपये स्वीकार किए.

गौरतलब है कि एअर इंडिया को वित्त वर्ष 2018-19 में 8,400 करोड़ रुपये का जबरदस्त घाटा हुआ. एअर इंडिया पहले से ही लंबे समय से पैसों की कमी से जूझ रही है और कर्ज के बोझ से दबी हुई है. ज्यादा ऑपरेटिंग कॉस्ट और फॉरेन एक्सचेंज लॉस के चलते कंपनी को भारी घाटा उठाना पड़ा है. सरकारी आंकड़ों के मुताबिक 2 जुलाई तक एअर इंडिया को पाकिस्तानी एयरस्पेस बंद होने से 491 करोड़ रुपये का नुकसान हो चुका है.

इसके बावजूद एयर इंडिया के अधिकारियों को उम्मीद इस वित्त वर्ष यानी 2019-20 के अंत तक कर्ज में डूबी एअर इंडिया फिर से फायदे में आ जाएगी. एअर इंडिया फिलहाल 41 इंटरनेशनल और 72 घरेलू गंतव्यों तक अपनी उड़ानों का संचालन करती है.

कुल 58,000 करोड़ रुपये का कर्ज
गौरतलब है कि एअर इंडिया पिछले कई साल से भारी घाटे का सामना कर रही है और कर्ज में डूबी हुई है. विनिवेश के द्वारा इसकी सेहत को ठीक करने की तैयारी की जा रही है. एअर इंडिया पर कुल 58,000 करोड़ रुपये का कर्ज है और इसे चुकाने के लिए एयरलाइंस को सालाना 4,000 करोड़ रुपये खर्च करने पड़ रहे हैं.

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