बॉडी को रोजाना होती है निर्धारित मात्रा में फैट की जरूरत, जानें एक्सपर्ट की राय

आहार और पोषण विशेषज्ञ दोनों ही दादी-नानी की घी-तेल खाने की सलाह को सही मानते हैं। इससे न सिर्फ शरीर की मांसपेशियां व ढांचा मजबूत होते हैं, शरीर की विटामिंस को ग्रहण करने की क्षमता भी बढ़ती है। अमेरिकी कृषि विभाग के विशेषज्ञों द्वारा हाल में जारी आहार निर्देश के अनुसार, हर रोज एक या दो अंडे डाइट में शामिल करना टाइप टू डायबिटीज के खतरे और हृदय रोगों की आशंका को कम करता है। नई दिल्ली में वसंत कुंज स्थित फोर्टिस हॉस्पिटल में प्रमुख न्यूट्रिशनिस्ट सीमा सिंह कहती हैं, ‘हमारे शरीर को हर रोज कुछ वसा की जरूरत होती है। इसके बिना शरीर स्वयं से ट्रीग्लिसिराइड, कोलेस्ट्रॉल व अन्य फैटी एसिड नहीं बना पाता। इन्हीं वसा का टूटना शरीर को विकास और अंगों को सुरक्षा देने के लिए ऊर्जा देता है। शरीर वसा में घुलनशील विटामिन्स को बेहतर तरीके से ले पाता है।’ इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च और द नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ न्यूट्रिशनिस्ट, सैचुरेटेड फैटी एसिड (एसएफए), मोनोअनसेचुरेटेड फैटी एसिड (एमयूएफए) और पॉलिअनसैचुरेटेड फैटी एसिडी(पीयूएफए) सभी को बराबर अनुपात में लेने की सलाह देते हैं। उनके अनुसार वनस्पति तेल, घी और मक्खन को अपने आहार में समय-समय पर बदलते रहना चाहिए। मुंबई के नानावती सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल की न्यूट्रिशनिस्ट कॉर्डिनेटर सुवर्णा पाठक कहती हैं, ‘मैं कभी मरीजों को वसा रहित डाइट की सलाह नहीं देती। वसा शरीर के मेटाबॉलिज्म, जोड़ व हड्डियों को दुरुस्त रखता है।

मेवा : बादाम, अखरोट और पिस्ते में एमयूएफए प्रचुर मात्रा में होते हैं, जो रक्तचाप कम करते हैं। ऊर्जा बढ़ाते हैं व कोलेस्ट्रॉल नियंत्रित रखते हैं। डॉ. सिंह के अनुसार, ‘इसमें प्रोटीन, आयरन और ओमेगा-3 फैटी एसिड होते हैं। पहाड़ी बादाम में ओलिक एसिड और मैग्नीशियम अधिक होता है,जो कैंसर की आशंका कम करता है। नियमित चार से छह बादाम, दो अखरोट और छह पिस्ते खाएं।’

घी : आयुर्वेद में प्राचीन समय से गाय के दूध का बना घी उपचार व खाने में इस्तेमाल किया जाता रहा है। 2012 में करनाल स्थित नेशनल डेयरी रिसर्च इंस्टीट्यूट के सर्वे के अनुसार गाय का घी लिवर में कैंसर के कारक कार्सिनोजेंस का सक्रिय होना कम करता है। डॉ. सीमा सिंह के अनुसार, ‘सही मात्रा में घी खाने से हृदय रोगों से बचाव होता है। हानिकारक कोलेस्ट्रॉल के स्तर में कमी आती है। पाचन तंत्र दुरुस्त रहता है और त्वचा में चमक आती है। नई दिल्ली स्थित मैक्स सुपरस्पेशियलिटी हॉस्पिटल की दिव्या चौधरी के अनुसार, ‘हर रोज एक चम्मच घी खाना ऊर्जा के स्तर को बनाए रखता है और वसा की जरूरत को पूरा करता है।’

चीज : एक दिन छोड़ कर 20 ग्राम चीज़ खाना आपकी वसा की जरूरत को पूरा कर देता है। डॉ. पाठक कहती हैं, ‘इसमें प्रोटीन, कैल्शियम और विटामिन बी-12 होते हैं। यह उत्पाद कैल्शियम व प्रोटीन का अच्छा स्रोत है। इसकी एक स्लाइस, एक गिलास दूध के बराबर है। चीज़ नहीं खाते तो सफेद मक्खन, 60 ग्राम तक घरेलू पनीर और 300 ग्राम दही खा सकते हैं।’ डॉ. रुईया कम वसा वाले प्रोसेस्ड या फैट फ्री डेयरी प्रोडक्ट से परहेज की सलाह देती हैं। उनके अनुसार ये उत्पाद रसायनीकृत होते हैं व पाचन तंत्र पर दबाव डालते हैं।

अंडा : डॉ. पाठक कहती हैं, ‘अंडे में एमयूएफए और पीयूएफए होते हैं, जो हृदय के लिए लाभकारी हैं। ये विटामिन बी-12 व प्रोटीन से भरपूर होते हैं। डॉ. माधुरी रुईया कहती हैं, ‘सलाद के साथ अंडा खाने से शरीर वसा में घुलनशील कैरेटेनॉएड को ढंग से ले पाता है, जिससे सूजन, दर्द व तनाव कम होता है। बॉडी बिल्डर्स के लिए हर रोज दो और अन्य के लिए हर रोज एक अंडा खाना पर्याप्त है।’

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