बैतूल की बंजर ज़मीन पर उगेगा ‘व्हाइट गोल्ड’, तीन साल में उगलेगी सोना

बैतूल
मध्यप्रदेश में पहली बार बैतूल में व्हाइट गोल्ड यानि काजू की व्यावसायिक खेती शुरू हो गयी है. यहां देश के बेस्ट क्वालिटी के काजू की पैदावार होगी. यहां खेती की ऐसी तकनीक अपनायी जाएगी कि मौसम की मार से फसल को कोई नुक़सान नहीं होगा. ख़ास बात ये भी है कि काजू की मार्केटिंग भी बैतूल से ही की जाएगी.

भारत सरकार के काजू बोर्ड और कई उद्यानिकी क्षेत्र से जुड़े वैज्ञानिकों ने बैतूल ज़िले को काजू उत्पादन के लिए सबसे मुफीद बताया है. फिलहाल ज़िले में 400 एकड़ में काजू उत्पादन शुरू किया गया है. अगले पांच साल में इसे बढ़ाकर पांच हजार एकड़ में कर दिया जाएगा .

बैतूल ज़िले की आबोहवा व्हाइट गोल्ड यानि काजू के उत्पादन के लिए बेहतरीन साबित हो रही है. इस बात पर देशभर से आए कृषि और उद्यानिकी वैज्ञानिकों ने मुहर लगा दी है. यही वजह है कि अब बैतूल ज़िला मध्यप्रदेश का काजू उत्पादन हब बनने जा रहा है. ज़िले में अब तक 400 एकड़ में काजू का प्लांटेशन हो चुका है. और जल्द ही ये रकबा पांच हजार एकड़ तक होगा.यहां देश का बेहतरीन क्वालिटी का काजू होगा.

किसान अपनी खेती की ज़मीन का पूरी तरह इस्तेमाल नहीं कर पाते हैं और परम्परागत फसलों से होने वाला नुकसान भी किसानों के लिए एक मुसीबत है. लेकिन काजू उत्पादन में किसानों को केवल अपनी बंजर पड़ी ज़मीनों का पर पौधे लगाने होंगे. दो से तीन साल में फसल आने लगेगी.

कई किसानों ने जो अब तक गेहूं और सोयाबीन की खेती करते थे उन्होंने अब काजू की खेती शुरू कर दी है. सबसे अच्छी बात ये है कि यहां होने वाले काजू की मार्केटिंग यहीं बैतूल ज़िले में की जाएगी. फार्मर प्रोडयूसर कंपनियां बनाकर किसानों को काजू का सही दाम दिलाया जाएगा.

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