बुंदेलखंड और विन्ध्य की पांचों सीटों पर जातिगत समीकरण हावी

भोपाल
प्रदेश के जिन सात लोकसभा सीटों के लिए 6 मई को मतदान होना है, वे सभी सीटें 2014 के चुनाव में भाजपा के कब्जे में रही हैं। इन सीटों में बुंदेलखंड की तीन सीटें खजुराहो, टीकमगढ़, दमोह, विन्ध्य की सतना व रीवा तथा मध्य भारत की बैतूल और होशंगाबाद सीट शामिल हैं। राजनीतिक जमावट की बात करें तो बुंदेलखंड और विन्ध्य की पांचों सीटों पर जातिगत समीकरण हावी है। यहां पर भाजपा और कांग्रेस के साथ ही सपा-बसपा ने भी पूरा जोर लगाया है। 

खजुराहो संसदीय क्षेत्र से भाजपा ने ब्राह्मण उम्मीदवार वीडी शर्मा को और कांग्रेस ने ठाकुर उम्मीदवार कविता राजे सिंह को उतारा है जो कि राजनगर के कांग्रेस विधायक नाती राजा की पत्नी हैं। इस संसदीय क्षेत्र में आठ विधानसभा शामिल हैं जिनमें से पांच पर भाजपा मजबूत स्थिति में दिख रही है वहीं तीन पर कांग्रेस अपनी ताकत लगाए हुए है। इन सब पर स्थानीय स्तर के जातीय समीकरण भारी पड़ रहे हैं। भाजपा ने पहली बार यहां से ब्राह्मण प्रत्याशी उतारा है जबकि कविता सिंह इस क्षेत्र की महारानी हैं। ब्राह्मण और ठाकुर वोट बंटने के चलते जीत उसकी होगी जिसको ओबीसी और एससी-एसटी सपोर्ट करेंगे। 

दमोह लोकसभा सीट पर दो लोधियों के बीच सीधी जंग होने जा रही है। इस सीट से भाजपा प्रत्याशी प्रहलाद पटेल और कांग्रेस के उम्मीदवार प्रताप सिंह लोधी एक ही जाति से आते हैं। यहां यह देखना दिलचस्प होगा कि लोधी समाज किसे नेता मानकर एकमुश्त वोट देते हैं। वैसे प्रचार प्रसार के मामले में भाजपा के उम्मीदवार कांग्रेस पर भारी दिखाई दे रहे हैं। इस संसदीय क्षेत्र में पानी सबसे बड़ा मुद्दा है। इस पर भाजपा और कांग्रेस दोनों के ही उम्मीदवार घिरते नजर आ रहे हैं। इससे पानी पर ज्यादा किरकिरी भाजपा की हो रही है क्योंकि प्रहलाद पटेल यहां से सांसद हैं और पिछले 15 साल तक प्रदेश में भाजपा की सरकार थी। 

टीकमगढ़ संसदीय क्षेत्र में भाजपा ने केंद्रीय मंत्री वीरेंद्र कुमार को प्रत्याशी बनाया है जबकि कांग्रेस से किरण अहिरवार उम्मीदवार हैं। यहां भाजपा अपनों से घिरी हुई है और भितरघात झेल रही है। भाजपा से पूर्व विधायक रहे आरडी प्रजापति यहां से बगावत कर सपा का दामन थामकर प्रत्याशी के रूप में चुनाव मैदान में हैं। सांसद वीरेंद्र कुमार को इसी के चलते दिक्कत हो रही है पर उनकी सादगी की छवि कांग्रेस प्रत्याशी पर भारी पड़ रही है। यहां भी पानी और रोजगार मुख्य चुनावी मुद्दे हैं जिसका अधिक विरोध वीरेंद्र कुमार के सांसद होने के चलते भाजपा को ही झेलना पड़ रहा है। 

भाजपा ने सतना से सांसद गणेश सिंह को चौथी बार टिकिट दिया है जबकि कांग्रेस ने 2009 का चुनाव सपा से हार चुके राजाराम त्रिपाठी को मैदान में उतारा है। बसपा ने अच्छेलाल कुशवाहा को टिकट दिया है। संसदीय क्षेत्र में जातीय फैक्टर काम करता है। राजाराम के लिये सवर्ण वोटों का धु्रवीकरण हो सकता है तो गणेश सिंह और अच्छेलाल ओबीसी वोट पर भरोसा कर रहे हैं। कुशवाहा समाज से एक मात्र प्रत्याशी होने से अच्छेलाल आसपास के संसदीय क्षेत्रों पर भी असर डाल रहे हैं। भाजपा ने गणेश के लिऐ हर असंतुष्ट नेता को मनाने का प्रयास किया है। यही कारण है कि धुर विरोधी नागेन्द्र सिंह, शंकरलाल तिवारी, नरेन्द्र त्रिपाठी और विष्णु त्रिपाठी जातीय संतुलन बना रहे हैं।

प्रदेश में बसपा सांसद का खाता रीवा से खुला था। इस बार पार्टी ने विकास पटेल को उतारकर चुनाव रोचक कर दिया है। भाजपा ने जनार्दन मिश्र को पूर्व मंत्री राजेंद्र शुक्ला के करीबी होने और परफारमेंस के आधार पर फिर से टिकट दिया है तो कांग्रेस ने पूर्व विधानसभा अध्यक्ष स्व. श्रीनिवास तिवारी के नाती व पूर्व सांसद सुंदरलाल तिवारी के बेटे सिद्धार्थ तिवारी को खड़ा करके करीब 11 लाख युवा मतदाताओं पर फोकस किया है। कांग्रेस यहां श्रीनिवास और सुंदरलाल के निधन के बाद सहानुभूति लहर के सहारे पार होने की कोशिश में है। यहां ठाकुर और ब्राह्मण प्रत्याशी कई बार आमने-सामने आ चुके हैं। इसलिये यहां जातीय फैक्टर हावी रहता है। इस बार भाजपा और कांग्रेस से दोनो प्रत्याशी ब्राह्मण है। ऐसे में बसपा को ओबीसी और परम्परागत वोट पर भरोसा बढ़ा है। 

होशंगाबाद संसदीय सीट से भाजपा ने सांसद राव उदय प्रताप सिंह पर भरोसा कर प्रत्याशी बनाया है तो कांग्रेस ने शैलेंद्र दीवान को प्रत्याशी बनाया है। दीवान पहली बार लोकसभा चुनाव लड़ रहे हैं। उदय प्रताप यहां कांग्रेस और फिर भाजपा से सांसद रह चुके हैं लेकिन इस बार उन्हें मोदी लहर से जीत की उम्मीद है। वहीं दीवान को युवाओं के वोट और सांसद की क्षेत्र में कमजोर पकड़ मुद्दा बनाकर जीतने का भरोसा है। सांसद उधय प्रताप को यहां उनके विरोधियों की भितरघात का सामना भी करना पड़ रहा है। राहुल गांधी और नरेंद्र मोदी दोनों ही यहां चुनावी सभाएं कर चुके हैं। 

बैतूल लोकसभा सीट भाजपा का मजबूत किला मानी जाती है। पिछले आठ चुनावों से यहां सिर्फ और सिर्फ भाजपा का ही कब्जा रहा है। भाजपा ने जाति प्रमाणपत्र के मामले में उलझी ज्योति धुर्वे का टिकिट काट कर यहां इस बार 55 वर्षीय गायत्री सेवक अनुभवी दुर्गादास पर दाव लगाया है तो कांग्रेस ने इस सीट को अपनी झोली में डालने के लिए इस बार यहां 31 वर्षीय युवा उम्मीदवार रामू टेकाम पर दाव लगाया है। अब यहां कांग्रेस के सामने भाजपा को लगातार नौवी जीत से रोकने की चुनौती है।

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