बीजेपी की नजर राजस्थान, पंजाब और हरियाणा पर

 
नई दिल्ली 

लोकसभा चुनाव के तीन चरण पूरे हो चुके हैं, लेकिन राजनीतिक दलों में सदस्यता लेने और छोड़ने का सिलसिला अभी भी बरकरार है। शनिवार को सेना से जुड़े सात अधिकारियों ने पार्टी की सदस्यता ग्रहण कर ली। चुनाव के तीन दौर होने के बाद इन अधिकारियो को बीजेपी की सदस्यता देने के ऐलान को हरियाणा, राजस्थान और पंजाब जैसे राज्यों के चुनाव से जोड़कर देखा जा रहा है, जहां बड़ी तादाद में सैनिकों के परिवार रहते हैं। 
 
हालांकि पार्टी यही दावा कर रही है कि जब भी कोई पार्टी में शामिल होने की इच्छा जताता है, पार्टी उसका स्वागत करती है। इसके लिए पार्टी कोई अलग से समय निर्धारित नहीं करती। इसके बावजूद यह माना जा रहा है कि इस मौके पर इस तरह से सेना के उच्च पदों से रिटायर होने वाले आधा दर्जन से अधिक अधिकारियों के बीजेपी में शामिल होने से इन राज्यों के वोटरों के सेंटीमेंट पर जरूर असर पड़ता है। वैसे भी बीजेपी के लिए इन सैनिकों के आने से एक बड़ी राहत इसलिए भी है कि अब जबकि राष्ट्रवाद का मुद्दा कुछ नरम पड़ रहा है तो ऐसे में सैनिक अधिकारियों की पार्टी की सदस्यता लेने का संदेश सीधे वोटरों तक पहुंचता है। 

पार्टी में जो सात अधिकारी शामिल हुए, उनमें से पांच अधिकारी तो लेफ्टिनेंट जनरल रहे हैं जबकि एक कर्नल और एक विंग कमांडर रहे हैं। सूत्रों का कहना है कि दरअसल, राजस्थान, पंजाब और हरियाणा ऐसे राज्य हैं, जहां से बड़ी संख्या में ऐसे परिवार हैं, जिनके सदस्य सेना में किसी न किसी पद पर कार्यरत हैं। वैसे भी इन तीनों ही राज्यों में बीजेपी और उसके सहयोगी दल की प्रतिष्ठा दांव पर है। 

हरियाणा में उसके लिए अपनी पिछली सीटों को बरकरार रखने की चुनौती है तो राजस्थान में हाल ही में हुए विधानसभा चुनाव में उसे कांग्रेस के हाथों मात मिली है। ऐसे में अगर सेना के अधिकारी उसकी पार्टी के साथ खड़े होते हैं तो वहां रहने वाले सेना के जवानों के परिजनों तक इसका संकेत जाता है। यही स्थिति पंजाब की है और पंजाब तो पाक की सीमा से जुड़ा हुआ राज्य है। पंजाब में भी अंतिम चरण में वोटिंग होनी है। ऐसे में अंतिम चार चरणों के चुनाव से पहले रिटायर सैनिक अधिकारियों के इस कदम से पार्टी फायदा ले सकती है।

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