बिहार महागठबंधन दलों ने तेजस्वी को नेता मानने से किया इनकार, माँ राबड़ी देवी के घर हुई बैठक

पटना
महागठबंधन (Mahagathbandhan) के नेताओं का मजमा लगा तो सही, लेकिन लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Elections) में सूपड़ा साफ होने के बाद मंगलवार को एक बार फिर महागठबंधन (Grand Alliance) के सहयोगी दलों के नेताओं ने बैठक की. इसमें लोकसभा चुनाव की हार पर चर्चा के साथ आगे की रणनीति पर विचार-विमर्श किया गया. बैठक में सभी नेताओं ने एक स्वर में संघर्ष करने की बात भी कही. यह भी बताया गया कि RJD, CONGRESS RLSP, HAM और VIP का महागठबंधन महज चुनाव के लिए नहीं था, बल्कि जन सरोकारों को उसकी समेकित पूर्ति के लिए था. हालांकि, इन सब बयानबाजियों से इतर जो बात खास हुई वह यह कि अलायंस में शामिल दलों ने तेजस्वी यादव (Tejaswi Yadav) को महागठबंधन का नेता मानने से इनकार कर दिया.

बिहार की पूर्व सीएम और आरजेडी नेता राबड़ी देवी (Rabri Devi) के 10 सर्कुलर रोड स्थित सरकारी आवास पर मंगलवार को महागठबंधन के नेताओं का मजमा लगा तो सही, लेकिन महागठबंधन के सर्वस्‍वीकार्य नेता के सवाल पर इनके आपस का मनभेद और मतभेद उभरकर सबके सामने आ गया.

कांग्रेस के प्रभारी सचिव वीरेंद्र सिंह राठौड़ ने न सिर्फ तेजस्वी को महागठबंधन का नेता मानने से इंकार कर दिया, बल्कि यह भी साफ़ कर दिया कि बिहार विधानसभा चुनाव में जिस नेता के नेतृत्व में महागठबंधन चुनाव मैदान में जाएगा उस चेहरे का चुनाव राहुल गांधी या फिर सोनिया गांधी ही करेंगी.

जाहिर है कांग्रेस का यह बयान तेजस्वी और आरजेडी के लिए जितना बड़ा झटका है, वहीं मांझी के लिए किसी संजीवनी से कम नहीं. दरअसल, लोकसभा चुनाव में महागठबन्धन की करारी हार के बाद से जीतन राम मांझी लगातार तेजस्वी के नेतृत्व पर सवाल उठाते रहे हैं और उन्हें अनुभवहीन करार देते रहे हैं. सोमवार को भी उन्होंने यही बात दोहराई थी.

हालांकि इन सब बयानों से इतर हकीकत ये भी है कि आरजेडी तेजस्वी यादव को मुख्यमंत्री बनाने का सपना देख रही है. लेकिन, महागठबंधन के दो प्रमुख दलों का यह रुख तेजस्वी का सपना चकनाचूर करने के लिए काफी है.

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