बिहार चुनाव में मांझी-कुशवाहा से ‘ब्रेकअप’ करेगी RJD: तेजस्वी यादव

 
रांची/पटना

बिहार विधानसभा चुनाव 2020 से पहले महगठबंधन में टूट की आशंका थोड़ा और क्लियर होता दिख रहा है। पिता लालू प्रसाद यादव से मुलाकात के बाद आरजेडी नेता तेजस्वी यादव के सुर बदले हुए दिख रहे हैं। तेजस्वी यादव ने इशारा कर दिया है कि उन्हें केवल कांग्रेस को साथ लेकर चलने में दिलचस्पी है इसके अलावा कोई साथ आए तो ठीक और ना आए तो भी ठीक। रांची से पटना के लिए रवाना होने से पहले तेजस्वी यादव ने पत्रकारों से बातचीत के दौरान अपने बयान से इशारा कर दिया कि उन्हें पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी, पूर्व केंद्रीय मंत्री उपेंद्र कुशवाहा और वीआईपी पार्टी के मुखिया मुकेश सहनी जैसे नेताओं की ज्यादा जरूरत नहीं है।

रांची में पत्रकारों ने तेजस्वी से पूछा कि आपका प्रदर्शन लोकसभा चुनाव में काफी खराब रहा था, विधानसभा चुनाव में क्या तैयारी है। इसपर तेजस्वी यादव ने कहा कि लोकसभा का पैटर्न अलग होता है, विधानसभा में दूसरे मुद्दों पर चुनाव होता है। ठीक लोकसभा के बाद बिहार में विधानसभा के चुनाव हुए थे, जिसमें लगभग हर सीट पर आरजेडी चुनाव जीती थी। उस वक्त भी गठबंधन के हमारे सहयोगी कांग्रेस को छोड़कर मांझी और कुशवाहा जी अलग-अलग चुनाव लड़े, नतीजा सबके सामने है। जो ग्राउंड रियलिटी है उसको तो समझना ही होगा।

हालांकि अपने जवाब में तेजस्वी ने मांझी और कुशवाहा को लेकर कहा कि हमारा प्रयास है कि हम साथ लड़े, लेकिन जो जीतने वाला है हमें तो उसपर ही बात करनी होगी।

इस सवाल का जवाब देते हुए तेजस्वी ने अपनी बात बदल दी और कोरोना वायरस और बीजेपी-नीतीश की तरफ अपनी बात को मोड़ लिया। उन्होंने कहा कि इस वक्त चुनाव की बात क्यों हो रही है, कोरोना को लेकर जो भयावह स्थिति बन रही है बात उसकी होनी चाहिए। लोगों की जान कैसे बचे, रोजगार कैसे मिले बात उसकी होनी चाहिए। सत्ता में बैठे लोगों को गरीब का भूख नहीं मिटाना है। बीजेपी पहली ऐसी पार्टी है जो मौतों पर जश्न मना रही है।

तेजस्वी यादव ने आगे कहा कि 2015 में लालू प्रसाद यादव भ्रष्टाचारी नहीं थे। तब वह पैरों पर आकर गिरे थे। आज जब उनसे सवाल पूछा जा रहा है तो वे इतने घटिया स्तर पर आकर राजनीति करेंगे ये हम नहीं जानते थे। आपकी सरकार है हर जगह है। 2015 में नीतीश कुमार को बताना चाहिए था कि वे बीजेपी से क्यों अलग हुए और लालू जी के साथ क्यों आए। मैं नीतीश कुमार से बस इतना पूछना चाहता हूं कि वह गरीबों का हालचाल जानने बाहर कब निकलेंगे।

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