बाद में गलती सुधारी, महान शायर इकबाल के नाम पर फंस गए इमरान खान

 पाकिस्तान
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान को शनिवार को तब किरकिरी का सामना करना पड़ा जब वे किसी और की शायरी को अल्लामा इकबाल की बता बैठे. सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ट्विटर पर बाद में उन्होंने इस गलती में सुधार किया और कहा कि शेर इकबाल का नहीं है और न ही इकबाल की किसी पुस्तक का यह अंश है.

दरअसल, एक ट्वीट में इमरान खान ने लिखा कि 'इकबाल की यह कविता दर्शाती है कि मैं किस तरह अपने जीवन का नेतृत्व करने की कोशिश करता हूं. मैं अपने युवाओं से महान इकबाल की कविता को समझने और उसे अपने अंदर उतारने का आग्रह करता हूं और मैं उन्हें गारंटी देता हूं कि यह उनकी महान ईश्वर प्रदत्त क्षमता को जारी करेगा जो हम सभी के पास उनकी सबसे बड़ी रचना अशरफ उल मुखलुकात के रूप में है.'
 
इमरान खान के इस ट्वीट पर हुसैन हक्कानी नाम के एक शख्स ने ट्वीट किया और उन्हें बताया कि जिस शेर की वे बात कर रहे हैं वह इकबाल का नहीं है. हक्कानी ने ट्वीट में लिखा, यह कविता (शेर) इकबाल की नहीं है और इकबाल की किसी भी किताब में नहीं है. संभवतः इंटरनेट से उठा लिया गया है, जहां कई शौकीन अपनी ‘कविताओं’ को जाने-माने कवियों से जोड़ते हैं. दुख की बात है कि पाकिस्तान के प्रधानमंत्री के पास एक कर्मचारी भी नहीं है जो अपने पसंदीदा शायर के काम को जानता है.
 
हक्कानी के इस ट्वीट के बाद इमरान खान ने अपनी गलती मानी और एक ट्वीट में लिखा, मैं इसे सही कर रहा हूं, यह अल्लामा इकबाल की कविता नहीं है, लेकिन इसका सार यह है कि उन्होंने जो संदेश दिया है, उसका पालन करने की कोशिश की है और यदि हमारे युवा इस संदेश को आत्मसात करते हैं, तो यह उनकी महान ईश्वर प्रदत्त क्षमता को जारी करेगा जो हम सभी के पास उनकी सबसे बड़ी रचना अशरफ उल मुखलुकात के रूप में है.

 

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