बाड़मेर लोकसभा: जाटों की लामबंदी के बीच जसवंत के बेटे के सामने विरासत बचाने की चुनौती
बाड़मेर
बीजेपी के लिए वह 'हनुमान' जैसे थे। वह भारत-पाकिस्तान बंटवारे के लिए जिन्ना को जिम्मेदार नहीं मानते थे। कभी दोनों देशों के बीच दोस्ती की पैरवी करते हुए उन्होंने मुनाबाव से खोखरापार के बीच थार एक्सप्रेस शुरू करवाई थी। राजस्थान के मारवाड़ इलाके की सियासत में यह विरोधाभास समझने के लिए पुराने पन्नों को पलटना पड़ेगा। हम बात जसवंत सिंह की कर रहे हैं। अपने जीवन का आखिरी चुनाव अपनी जन्मभूमि बाड़मेर से जीतने की उनकी कसक अधूरी ही रह गई।
बाड़मेर के बालोतरा कस्बे के जसोल गांव में पैदा हुए जसवंत सिंह बीजेपी के संस्थापक सदस्यों में से एक हैं। 2009 के आम चुनाव में बीजेपी की लगातार दूसरी हार के बाद पार्टी के बड़े नेताओं से उनके संबंध असहज थे। इसी दौरान पाकिस्तान के संस्थापक मोहम्मद अली जिन्ना पर लिखी किताब जिन्ना: इंडिया, पार्टिशन, इंडिपेंडेंस पर विवाद के बाद उन्हें पार्टी ने बाहर का रास्ता दिखा दिया था। तकरीबन 10 साल पहले हुए इस वाकये के बाद जसवंत ने दर्द बयां करते हुए कहा था, 'अटलजी के शासनकाल में मुझे एक कार्टून में हनुमान के रूप में दिखाया गया था। मैं हनुमान से रावण हो गया। दुख तो होता ही है।'
कंधार कांड के वक्त जसवंत थे विदेश मंत्री
चार दशक के सियासी करियर में जसवंत सिंह पांच बार राज्यसभा और चार बार लोकसभा के सदस्य रहे। वाजपेयी सरकार में वह वित्त मंत्री, रक्षा मंत्री और विदेश मंत्री के पद पर रहे। 1998 से 99 के दौरान वह योजना आयोग के उपाध्यक्ष भी थे। 1999 के आईसी-814 कंधार विमान अपहरण कांड के वक्त जसवंत सिंह विदेश मंत्री थे। उस दौरान 180 विमान यात्रियों को आजाद कराने के लिए मसूद अजहर समेत कई कुख्यात आतंकियों को वाजपेयी सरकार ने छोड़ा था। मध्यस्थता के लिए जो टीम कंधार भेजी गई थी, उसमें जसवंत और वर्तमान राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल शामिल थे। 2004 के आम चुनाव में बीजेपी की हार के बाद जसवंत ने राज्यसभा में नेता विपक्ष की जिम्मेदारी भी संभाली।
2014 में 'कर्नल' ने 'मेजर' को हराया
2014 के लोकसभा चुनाव में बाड़मेर-जैसलमेर लोकसभा सीट पर दिलचस्प टक्कर दिखी थी, जब जसवंत को तवज्जो न देते हुए पार्टी ने इलाके के जाट दिग्गज कर्नल सोनाराम चौधरी को टिकट दिया था। जसवंत ने निर्दलीय पर्चा भरा और सोनाराम को जोरदार टक्कर दी लेकिन मोदी लहर में रिटायर्ड कर्नल ने मेजर को मात दे दी। बताते चलें कि एनडीए खड़कवासला से ट्रेनिंग लेने वाले जसवंत सिंह सेना में मेजर रैंक पर पहुंचकर रिटायर हुए थे। अब जसवंत सिंह के बेटे मानवेंद्र सिंह कांग्रेस में आ चुके हैं। 2018 के विधानसभा चुनाव में बाड़मेर-जैसलमेर की 8 में से 7 विधानसभा सीटों पर कांग्रेस का कब्जा हो गया।