बस्तर की लकड़ी से बनेंगे बल्ले, दिग्गज क्रिकेटर लगाएंगे चौके-छक्के

रायपुर
अपने जिस बल्ले के दम पर महेंद्र सिंह धोनी, विराट कोहली जैसे क्रिकेटर पूरी दुनिया में धूम मचा रहे हैं, उसम प्रयोग होने वाले विलो की लकड़ी का उत्पादक राज्य छत्तीसगढ़ भी हो जाएगा। राज्य के बस्तर में इसकी शुरुआत 1100 पौधों के रोपण के साथ हो गई है।

सात से दस साल में यह पौधा पूर्ण पेड़ हो जाएगा और इसकी लकड़ी पूरी दुनिया में बल्ला बनाने के लिए आपूर्ति की जाएगी। विलो का पेड़ सामान्यता इस वातावरण में होता है वह बस्तर में मौजूद है और मां दंतेश्वरी हर्बल फार्म ने सरकार के साथ मिलकर इसे उगाने का बीड़ा उठाया है।

इस पौधे के तैयार होते ही बस्तर व उसके आस-पास के लोगों की आर्थिक स्थिति में भी मूलभूत परिवर्तन आएगा। अभी तक यह लकड़ी भारत के उत्तराखंड और एकाध चुनिंदा राज्यों में उपलब्ध थी। छत्तीसगढ़ ऐसा पहला राज्य है जहां इसे प्लानिंग के तहत व्यवसायिक सोच के साथ रोपित किया जा रहा है।

राज्य में एक लाख पौधा रोपित करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। विलो के पौधे जब पेड़ हो जाएंगे तो छत्तीसगढ़ इनका उत्पादक देश का पहला राज्य हो जाएगा। आर्थिक समृद्धि का द्वार खोलेगा विलो का पेड़ मां दंतेश्वरी हर्बल फर्म के संचालक व उन्न्तशील कृषक राजाराम पांडेय का कहना है कि विलो का पौधा राज्य के आदिवासी समाज के लोगों की समृद्धि का द्वार खोलेगा। अभी 1100 पौधे रोपित किए गए है। धीरे-धीरे इसकी संख्या एक लाख तक पहुंचाई जाएगी।

22 वन औषधि के गुण हैं इसकी छाल में

विलो की लकड़ी से जहां बल्ला सहित खेल से जुड़ी अन्य सामग्री तैयार होती है वहीं इसकी छाल में 22 प्रकार के वन औषधियों के गुण भी पाए जाते हैं। देश में सिर दर्द में त्वरित राहत के लिए विख्यात एस्प्रिन दवा भी इसी की छाल से तैयार की गई थी। विलो की लकड़ी काफी हल्की रेशेदार व मजबूत होती है। विलो पेड़ के तैयार होते ही आदिवासी समाज के लोगों को आमदनी का बड़ा जरिया मिल जाएगा।

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