काशी विश्वनाथ में 4 जून से ई-रुद्राभिषक कर सकते हैं

वाराणसी
 कोरोना के कारण मंदिरों के बंद कपाट 8 जून से खुलने की बात हो रही है। इसी के साथ ये प्राचीन और ऐतिहासिक मंदिर पूजा-पाठ से लेकर दर्शन-पूजन के तौर-तरीके में बदलाव के भी गवाह बनेंगे। काशी विश्वनाथ मंदिर के साथ मिर्जापुर में मां विन्ध्यवासिनी के मंदिर में भक्तों को मत्था टेकने से पहले थर्मल स्क्रीनिंग व सैनिटाइजेशन कराने के बाद मास्क लगाकर ही प्रवेश करना होगा। काशी विश्वनाथ मंदिर दुनियाभर के उन भक्तों के लिए जो कोरोना के चलते मंदिर आ नहीं पा रहे हैं,उनके लिए ई-रुद्राभिषेक की सहूलियत का श्रीगणेश करने जा रहा है। कोरोना के कारण दुनियाभर से भक्तों के काशी न पहुंच पाने के कारण यह सुविधा जब तक हालात सामान्य नहीं बन जाते तब तक चालू रहेगी। काशी विश्वनाथ मंदिर भक्तों को आरती का लाइव दर्शन फेसबुक व ट्विटर पर पहले से मौजूद है। रोजाना एक हजार से ज्यादा दुनियाभर के लोग इसमें नियमित हिस्सा ले रहे हैं।

ई-रुद्राभिषक के लिए बुकिंग
वाराणसी के कमिश्नर दीपक अग्रवाल ने बताया कि काशी विश्वनाथ मंदिर को सोशल डिस्टेंसिंग के पालन के साथ आम भक्तों के लिए 8 जून को खोलने से पहले ई-रुद्राभिषेक 4 जून से प्रारंभ करने की तैयारी है। दुनियाभर के श्रद्धालु काशी विश्वनाथ मंदिर ट्रस्ट की वेबसाइट पर जाकर ई-रुद्राभिषक के लिए बुकिंग करवा सकते हैं। भक्त अपनी श्रद्धा के अनुसार मंदिर को ऑनलाइन दान भी कर सकते हैं। ऑनलाइन दान करने की सुविधा पहले से ही मंदिर प्रशासन की तरफ से मुहैया है। जो भी देश या विदेश का श्रद्धालु ई-रुद्राभिषेक करना चाहेगा, वह कर सकता है। 8 पुजारियों का एक बैच ई-रुद्राभिषेक के लिए बना दिया गया है। 4 जून से यह सुविधा प्रारंभ हो जाएगी। 8 जून से खुल रहे काशी विश्वनाथ मंदिर में भक्तों को बाबा का झांकी दर्शन ही मिलेगा, स्पर्श दर्शन की सुविधा किसी को नहीं होगी। मंदिर के छत्ताद्वार (गेट -4) से सबको प्रवेश दिया जाएगा। मास्क पहनकर आने वाले भक्तों को गेट पर ही हाथ सेनेटाइज कराया जाएगा। काशी विश्वनाथ मंदिर में आने वाले भक्तों के रुझान को देखकर 15 जून के बाद भविष्य की रणनीति दर्शन-पूजन की तय की जाएगी।

विन्ध्यांचल में मां के चरण नहीं छू सकेंगे भक्त
मिर्जापुर जिले में मां विन्ध्यवासिनी का मंदिर भी 8 जून के बाद शुभ मुहूर्त में खुलेगा। श्री विंध्य पंडा समाज के अध्यक्ष पंकज द्विवेदी ने बताया कि 8 जून को जो मंदिर खुल रहे हैं, वहां की व्यवस्था, आवश्यकता, जरूरत को देखने-समझने के बाद विंध्याचल धाम खोलने पर विचार करेंगे। शुभ मुहूर्त देखकर ही कपाट खोला जाएगा। मंदिर के गर्भगृह में आम भक्तों के लिए चरण स्पर्श पर प्रतिबंध रहेगा। 10 श्रद्धालुओं को एक बार में प्रवेश दिया जाएगा। दो-दो मीटर पर मंदिर परिसर में गोले बनाए जाएंगे, जिसमें श्रद्धालु खड़े होंगे। हैंड और बॉडी सैनिटाइज करने के बाद ही भक्त मंदिर में प्रवेश कर सकेंगे।

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