बसंत पंचमी 2019: जानें मुहूर्त, पूजा विधि, कथा और महत्व

हिंदू कैलेंडर के अनुसार माघ महीने के शुक्ल पक्ष की पंचमी बसंत पंचमी के तौर पर मनाई जाती है। ये दिन शीत ऋतु के समाप्त होने का संकेत देती है और इसके साथ ही ये बसंत ऋतु के आने का सूचक है। बसंत पंचमी का दिन मां सरस्वती को समर्पित है। माता सरस्वती को बुद्धि और विद्या की देवी माना जाता है। हिंदू धर्म में ये दिन किसी उत्सव से कम नहीं होता है।

इस महीने के दौरान मौसम काफी सुहावना हो जाता है। इसमें ना तो ज्यादा सर्दी होती है और ना ही ज्यादा गर्मी, यही कारण है कि बसंत ऋतु को ऋतुओं का राजा कहा जाता है। ये मौसम पतझड़ के जाने का इशारा करती है और इसके साथ ही चारों तरफ हरियाली की छटा बिखर जाती है। पेड़ पौधों में नयी जान आ जाती है।

हिंदू पंचांग में इस दिन का खास महत्व है और बसंत पंचमी के दिन सरस्वती माता के लिए विशेष पूजा का आयोजन किया जाता है। जानते हैं 2019 में बसंत पंचमी की तिथि, शुभ मुहूर्त और महत्व के बारे में।

बसंत पंचमी से जुड़ी पौराणिक मान्यताएं
माना जाता है कि सरस्वती मां की पूजा सबसे पहले श्रीकृष्ण और ब्रम्हाजी ने की थी। देवी सरस्वती पहली बार श्रीकृष्ण को देखकर उनके रूप पर मोहित हो गयी थी और उन्हें ही अपने पति के रूप में पाने की इच्छा करने लगीं। तब मुरली मनोहर ने उन्हें राधा के प्रति अपने समर्पण की बात बताई। इस दौरान वाणी, बुद्धि, विद्या और ज्ञान की देवी सरस्वती को श्रीकृष्ण ने वरदान दिया कि विद्या की इच्छा रखने वाला व्यक्ति माघ माह की शुक्ल पंचमी को उनकी आराधना करेगा। तब से ही ये परंपरा चली आ रही है। खासतौर पर स्कूलों में विद्यार्थियों द्वारा सरस्वती पूजा का विशेष आयोजन किया जाता है।

बसंत पंचमी है बहुत शुभ दिन
ज्योतिष के मुताबिक बसंत पंचमी का दिन अबूझ मुहूर्त के तौर पर जाना जाता है और यही वजह है कि ये नए काम की शुरुआत करने के लिए श्रेष्ठ दिन माना जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन घरों में नींव पूजन, गृह प्रवेश, वाहन खरीदना, व्यापार शुरू करना आदि बेहद शुभ माना जाता है। बसंत पंचमी के दिन पीले रंग के वस्त्र पहनकर पूजा करना भी शुभ होता है। इतना ही नहीं इस दिन पीले पकवान बनाना भी काफी अच्छा माना जाता है।

बसंत पंचमी की तिथि और मुहूर्त
जिस दिन पंचमी तिथि सूर्योदय और दोपहर के बीच रहती है, वह दिन सरस्वती पूजा के लिये उपयुक्त माना जाता है। इस बार पंचमी तिथि 9 फरवरी को 12.25 बजे से शुरू हो रही है जो 10 फरवरी को दोपहर 2 बजे समाप्त हो जाएगी। पूजा का शुभ मुहूर्त 10 फरवरी को सुबह 7.07 से 12.35 बजे तक श्रेष्ठ है।

बच्चों के लिए ये दिन है खास
विद्यार्थी इस दिन अपनी किताबों और पाठ्य सामग्री की पूजा करते हैं। ये दिन शिशुओं को भोजन शुरू कराने के लिए भी शुभ माना जाता है। इस दिन छोटे बच्चों की जीभ पर शहद से ॐ लिखा जाता है जिससे बच्चे का रुझान शिक्षा की तरफ हो।

 

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