बतौर रक्षा मंत्री पहले विदेशी दौरे पर मोजाम्बिक रवाना हुए राजनाथ सिंह, जानिए क्या है इस यात्रा के मायने?

 
नई दिल्ली 

केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह 3 दिन के लिए अफ्रीकी देश मोजाम्बिक के लिए रवाना हो गए हैं। बतौर रक्षा मंत्री यह उनकी पहली यात्रा है जहां रक्षा सहयोग बढ़ाने के लिए वह तीन द्विपक्षीय समझौते पर हस्ताक्षर करेंगे। राजनाथ ने आधिकारिक ट्विटर हैंडल से इसकी जानकारी देते हुए कहा कि वह पहले ऐसे भारतीय रक्षा मंत्री हैं जो मोजाम्बिक में द्विपक्षीय यात्रा के लिए जा रहे हैं। 

राजनाथ ने अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल पर लिखा, 'मोजाम्बिक की मेरी यात्रा किसी भारतीय रक्षा मंत्री द्वरा इस अद्भुत अफ्रीकी देश में पहली द्विपक्षीय यात्रा है।' राजनाथ ने आगे लिखा कि वह इस यात्रा के दौरान भारत और मोजाम्बिक के बीच रक्षा सहयोग को गहरा और मजबूत करने का प्रयास करेंगे। रक्षा मंत्रालय ने कहा कि मोजाम्बिक दौरे के दौरान राजनाथ वहां के राष्ट्रपति, रक्षा मंत्री, विदेश मंत्री और गृह मंत्री से बातचीत करेंगे। मंत्रालय ने बताया कि दोनों देशों के बीच तीन समझौते पर हस्ताक्षर होंगे जिनमें विशेष आर्थिक क्षेत्र की निगरानी में सहयोग, श्वेत नौवहन जानकारी और जलविद्युत का साझाकरण शामिल है। 

मोजाम्बिक को दो फास्ट इंटरसेप्टर नौका और 44 एसयूवी भारत 
केंद्रीय रक्षा मंत्री के दौरे के दौरान भारत मोजाम्बिक को दो फास्ट इंटरसेप्टर नौका और 44 एसयूवी भी सौंपेगा। राजनाथ के साथ इस दौरे में रक्षा सचिव संजय मित्रा और रक्षा मंत्रालय और विदेश मंत्रालय के कुछ अन्य वरिष्ठ अधिकारी भी होंगे। भारत और मोजाम्बिक के बीच द्विपक्षीय संबंध जुलाई 2016 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की इस अफ्रीकी देश की यात्रा के बाद से बढ़े हैं। बता दें कि अफ्रीकी राष्ट्रों के साथ चीन लगातार अपनी रणनीतिक साझेदारी बढ़ाने पर जोर दे रहा है। चीन के प्रभाव को देखते हुए भारत भी अफ्रीका के अपने सहयोगी मित्र राष्ट्रों के साथ रणनीतिक संबंधों पर जोर दे रहा है। 

चीन की नजर अफ्रीका की खनिज संपदा पर 
चीन एशिया ही नहीं अफ्रीकी देशों के बीच भी अपनी पहुंच बढ़ाने के लिए लगातार कोशिश में जुटा है। चीन अपने महत्वाकांक्षी वन बेल्ट वन रोड परियोजना के साथ ही अफ्रीकी राष्ट्रों के साथ अपने संबंध विस्तार में जुटा है। चीन अपने 'न्यू ग्रेट ग्रेम' के तहत अफ्रीका में अपनी धमक बढ़ाने पर जोर दे रहा है। अफ्रीका खनिज और प्राकृतिक संसाधनों से भरपूर महाद्वीप है और चीन अपनी अर्थव्यवस्था को गति देने के लिए इन प्राकृतिक संसाधनों पर नजर जमाए है। 

अफ्रीकी राष्ट्रों के साथ पुराने संबंधों को मजबूत कर रहा भारत 
अफ्रीकी राष्ट्रों के साथ भारत की आर्थिक और सैन्य समझौतों में चीन जैसी महत्वाकांक्षा नहीं है। हालांकि, नई दिल्ली खास तौर पर अफ्रीकी राष्ट्रों के साथ अपने पुराने संबंधों को मजबूत करने में जुटा है। मोजाम्बिक के साथ ही भारत बोत्सवाना, इजिप्ट, केन्या, लिसोथो, मोरक्को, नामीबिया, रवांडा, तंजानिया, यूगांडा और जाम्बिया जैसे देशों के साथ सैन्य समझौतों को मजबूत कर रहा है। 

रणनीतिक तौर पर महत्वपूर्ण 2 अफ्रीकी देशों की यात्रा पर प्रेजिडेंट 
रक्षा मंत्री के अलावा प्रेजिडेंट रामनाथ कोविंद भी रविवार को अफ्रीकी देश बेनिन और गैम्बिया की यात्रा पर रवाना होंगे। राष्ट्रपति की इस यात्रा का उद्देश्य पश्चिमी अफ्रीका के विकास और सुरक्षा के क्षेत्र में सहयोग बढ़ाना है। इन दोनों ही देशों का अटलांटिक क्षेत्र में कूटनीतिक और सामरिक दृष्टि से बहुत महत्व है। अटलांटिक क्षेत्र में अपनी पहुंच बढ़ाने के साथ ही समुद्री डाकुओं से निपटने के लिए भी भारत के लिए यह यात्रा बहुत महत्वपूर्ण है। 

अफ्रीकी राष्ट्रों के साथ कूटनीतिक संबंध पर भारत का जोर 
बेनिन का भारत अभी सबसे बड़ा ट्रेड पार्टनर है। चारों तरफ से लैंड लॉक सब-सहारन क्षेत्र में बेनिन ही भारत का प्रवेश द्वार है। गैम्बिया में संसद का निर्माण भी भारत की ओर से ही किया गया है और कई वरिष्ठ अधिकारियों की ट्रेनिंग भारत में ही की जाती है। अफ्रीकी देशों के साथ भारत कूटनीतिक संबंधों पर लगातार जोर दे रहा है। 
 

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