बड़े तालाब का कहीं हम ‘चौथा’ मनाने की तैयारी तो नहीं कर रहे
भोपाल
गर्मी अपने चरम पर होती है और देशभर से जल के अलग-अलग स्रोत सूखने की खबर आने लगती है. पानी को लेकर पड़ोसी से लेकर दो राज्य और दो देश आपस में टकराव की स्थिति में आ जाते हैं. ऐसी ही भयावह खबर मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल से आ रही है. बीते 10-11 सालों में यह चौथी बार हो रहा है कि भोपाल के बड़े तालाब का जलस्तर डेड स्टोरेज तक पहुंच गया. पानी का यह संकट आगाह कर रहा है कि कहीं हम 'चौथा' मनाने की तैयारी तो नहीं कर रहे हैं, क्योंकि पहले तीन बार जब संकट की स्थिति हुई तो सरकार से लेकर समाज के लोगों ने इस बारे में सोचा और इसे बचाने की कुछ सफल-असफल कोशिशें भी की. इस साल तो हम पानी की चिंता के पहले स्तर पर ही उदासीन जान पड़ रहे हैं. बड़ा तालाब 36 किलोमीटर से सिकुड़कर सिर्फ 9 किलोमीटर के दायरे में रह गया है.
पहली बार 2008 में बड़े तालाब का जलस्तर 1655 फीट तक पहुंच गया था. इस साल जल संकट से निपटने के लिए भोपाल निगम प्रशासन ने पानी की सप्लाई एक दिन छोड़कर करनी शुरू कर दी. यह संकट अगले वर्ष यानि वर्ष 2009 में और जोरदार तरीके से आया था. इस साल तो बारिश से पहले बड़े तालाब का स्तर 1646 फीट तक पहुंच गया था. अब शहरवासियों की प्यास बुझाने के लिए और तालाब को सूखने से बचाने के लिए एक दिन छोड़कर पानी की सप्लाई देने की व्यवस्था स्थाई तौर कर दी गई. यह व्यवस्था वर्ष 2013 तक बनी रही. हालांकि, वर्ष 2011 में इस तालाब का जलस्तर डेड स्टोरेज लेवल से भी नीचे 1651.30 फीट तक पहुंच गया था. वर्ष 2018 में 31 मई को तालाब का जलस्तर गिरकर 1652 फीट रह गया था. मानसून आने से पहले वर्ष 2018 में इसका जलस्तर 1650 फीट तक पहुंच गया था. वर्ष 2019 में 26 मई को तालाब का जलस्तर1652 फीट पहुंच गया था और बारिश शुरू होने से पहले पानी का लेवल 1650 फीट से भी नीचे चले जाने की उम्मीद जताई जा रही है. इस साल इस तालाब से पानी पाने वाली आबादी का संकट और गहरा सकता है, क्योंकि मौसम विभाग के अनुसार मानसून यहां पांच दिन की देरी से पहुंचेगा.
भोपाल की आबादी के लिए चार बड़े जल स्त्रोतों से पानी आता है. नर्मदा, कैरवा डैम, कोलार डैम और बड़ा तालाब. इन चार स्रोतों से पानी मुहैया कराने के बाद भी लोगों की जरूरतें पूरी नहीं हो पा रही है. इन स्रोतों से पाइप लाइन के जरिए मुहैया कराए जा रहे पानी के लीकेज को यदि रोक लिया जाए तो बड़े तालाब से सप्लाई का एक माह का पानी बचाया जा सकता है. गौरतलब है कि शहर में रोजाना सप्लाई हो रहे 45 करोड़ लीटर में से करीब 3 करोड़ लीटर पानी रोजाना लीकेज के चलते बर्बाद हो रहा है. इन स्रोतों में से सबसे ज्यादा बर्बादी कोलार डैम पाइप लाइन से हो रही है.
बड़े तालाब से पानी की सप्लाई में कटौती के बावजूद रोजाना 9 करोड़ लीटर पानी शहरी आबादी को मुहैया कराई जा रही है. इस साल गर्मी के तीन महीनों की बात की जाए तो 2अरब 70 करोड़ लीटर पानी लीकेज में बह गया. इस दौरान बड़े तालाब से इसका तीन गुना 8 अरब 10 करोड़ लीटर पानी सप्लाई हुआ. बड़ा तालाब का जलस्तर रोजाना करीब0.05 फीट घट रहा है. यदि यही स्थिति जारी रही तो अगले 10 दिनों के भीतर जलस्तर 1650 फीट गिरकर रह जाएगा. इन हालात में बड़े तालाब के जलचर अपना असितत्व कैसे बचा पाएंगे, इस सवाल का जवाब किसी के पास नहीं है.