फ्रांस में भाभा का स्मारक, PM ने किया उद्घाटन

नीदेग्ल
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने फ्रांस में एक स्मारक का लोकार्पण किया जो अतीत में एयर इंडिया के दो विमान हादसों में मारे गए भारतीयों को समर्पित है। वर्ष 1950 और 1966 में मोब्लां (Mont Blanc) पर्वत श्रृंखला पर एयर इंडिया के दो विमान हादसे के शिकार हुए थे। उन हादसों में कई भारतीयों की जानें गई थीं। 1966 की विमान दुर्घटना में भारत के सर्वप्रख्यात वैज्ञानिक डॉ. होमी जहांगीर भाभा की भी जान चली गई थी। यह स्मारक उन सभी भारतीयों की याद में बनाया गया है जिन्होंने इन दोनों हवाई हादसों में अपनी जान गंवाई।

विडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए मेमोरियल का उद्घाटन करने के बाद पीएम मोदी ने कहा कि भारत और फ्रांस दुख की घड़ी में भी एक-दूसरे के साथ खड़े रहे हैं। पीएम मोदी ने यूनेस्को हेडक्वॉर्टर में भारतीय समुदाय को संबोधित करते हुए कहा, 'दो विमान हादसों में हमने महान वैज्ञानिक होमी जहांगीर भाभा समेत कई भारतीय यात्रियों को खो दिया। मैं उन लोगों को श्रद्धांजलि देता हूं, जिनकी यहां जान चली गई थी। यह दोनों देशों के लोगों के बीच हमदर्दी को भी दर्शाता है।'

मोब्लां पर्वत श्रृखंला का विस्तार फ्रांस-इटली की सीमा से लेकर स्विट्जरलैंड तक है। 1950 में दुर्घटना का शिकार हुए विमान में कुल 48 जबकि 1966 में कुल 177 लोगों की जान गई थी जिनमें 11 क्रू मेंबर्स थे। मोब्लां पहाड़ी के नजदीक फ्रांस के एक गांव नीदेग्ल में यह स्मारक बनाया गया है। आर्किटेक्चर बनाने वाली कंपनी Bossonet Marbrerie ने इस स्मारक का डिजाइन बनाया है।

एयर इंडिया फ्लाइट 245 की दुर्घटना 3 नवंबर, 1950 को हुई थी। इसे एविएशन सेक्टर की दिग्गज कंपनी लॉकहीड ने बनाया था। 'मालाबार प्रिंसेस' नाम का एयर इंडिया का यह जहाज मोब्लां के ऊपर करीब 4,677 मीटर की ऊंचाई पर स्थित Rocher de la Tournette पर क्रैश कर गया था। यह फ्लाइट मुंबई से लंदन की यात्रा पर निकला था। इस यात्रा में वह कैरो से उड़ा और उसे जिनिवा में लैंड करना था, लेकिन वह बीच में ही हादसे का शिकार हो गया। खराब मौसम के कारण वहां राहत कार्य भी दो दिन बाद 5 नवंबर पर चलाया जा सका। यह हादसा क्यों हुआ, इसका सही पता आज तक नहीं लग पाया है।

इससे कहीं ज्यादा जानकारी 1966 में हुई विमान दुर्घटना के बारे में है। बोइंग 707 मॉडल का यह एयर इंडिया फ्लाइट 101 'कंचनजंघा' के नाम से जानी जाती थी। यह विमान भी मुंबई से लंदन की यात्रा पर ही निकली थी। यह जिनीवा में रुका था और वहां से उड़ान भरने के बाद मोब्लां में दुर्घटनाग्रस्त हो गया। जांच आयोग की रिपोर्ट के मुताबिक, रडार कंट्रोलर के साथ बातचीत बाधित होने के कारण पायलट ने मोब्लां पर अपनी पोजिशन का आकलन करने में गलती कर दी और विमान हादसे का शिकार हो गया। हालांकि, एक थिअरी के मुताबिक यह विमान हादसे का नहीं बल्कि सीआई के साजिश के तहत बम से उड़ाया गया था।

बाद में हादसे की जगह से कई वस्तुएं ढूंढ निकाली गईं। 2013 में एक पर्वतारोही को एक मेटल बॉक्स मिला जिसमें कथित तौर पर माणिक, नीलम और पन्ना जैसे कीमती पत्थर पाए गए थे। यह मेटल बॉक्स दोनों में किन हादसों से संबंधित है, इसका अंदाजा अभी तक नहीं लग सका है।

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