फारूक अब्दुल्ला को पीएसए के तहत दो साल तक बंद रखने का विचार नहीं: अमित शाह

 
नई दिल्ली

नैशनल कॉन्फ्रेंस के वरिष्ठ नेता फारूक अब्दुल्ला को जन सुरक्षा कानून (पीएसए) के तहत 2 साल तक हिरासत में रखने का कोई विचार नहीं है। यह कहना है गृह मंत्री अमित शाह का। उन्होंने स्पष्ट किया कि फारूक अब्दुल्ला को 2 साल तक बंद रखने की बात किसी ने नहीं की है। साथ ही कहा, कश्मीर में आतंकवाद पाकिस्तान की वजह सा आया, पनपा और बढ़ा। यह पूरी दुनिया मान रही है। उन्होंने कहा कि कश्मीर कुछ परिवारों से नहीं, 40 हजार पंचों-सरपंचों से चलेगा।

एक न्यूज चैनल के विशेष कार्यक्रम के दौरान पूछे गए सवाल पर शाह ने कहा, 'फारूक अब्दुल्ला को 2 साल तक रोकने की किसी ने बात नहीं की और न ही किसी का ऐसा विचार है। उन्हें वहां (कश्मीर) के सुरक्षा कानून के तहत नजरबंद किया गया है।' दरअसल, केंद्र सरकार ने सोमवार को जब सुप्रीम कोर्ट को बताया कि एनसी नेता फारूक अब्दुल्ला को पीएसए के तहत हिरासत में लिया गया है तो मीडिया में आशंका जताई जाने लगी कि उन्हें 2 वर्षों तक हिरासत में रखा जा सकता है क्योंकि कानून इसकी इजाजत देता है। लेकिन, आज केंद्रीय गृह मंत्री ने स्पष्ट कर दिया है कि अब्दुल्ला को इतने लंबे समय तक हिरासत में रखे जाने का कोई इरादा नहीं है।

"जम्मू-कश्मीर के सच्चे प्रतिनिधि वहां के 40 हजार पंच-सरपंच हैं, न कि दो परिवार। दो परिवार कश्मीर को समझेंगे या 40 हजार लोग?"
-अमित शाह, केंद्रीय गृह मंत्री

कार्यक्रम में शाह से आर्टिकल 370 हटने के बाद से पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान और उनके मंत्रियों की ओर से आ रही न्यूक्लियर वॉर की धमकी पर सवाल पूछा गया। दुनिया को परमाणु युद्ध का डर दिखाने की पाकिस्तान की इन कोशिशों के सवाल पर शाह ने कहा 'कश्मीर में आतंकवाद पनपा है और बढ़ा है, उसमें पाकिस्तान की भूमिका को दुनिया ने माना है। यही वजह है कि पूरी दुनिया आर्टिकल 370 पर हमारे साथ खड़ी हुई।'

गृह मंत्री ने आर्टिकल 370 हटने के बाद जम्मू-कश्मीर में भविष्य की राजनीति के सवाल का भी जवाब दिया। उन्होंने कहा कि जम्मू-कश्मीर के असली प्रतिनिधि वहां के 40 हजार पंच-सरपंच हैं, न कि दो (अब्दुल्ला और मुफ्ती) परिवार। उन्होंने कहा, 'पहली बार कश्मीर में 40 हजार पंच-सरपंच कश्मीर का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं।' उन्होंने सवाल किया कि दो परिवार कश्मीर को समझेंगे या 40 हजार लोग? उन्होंने कहा कि कश्मीर के लोग ही इन परिवारों को राजनीति से दूर फेकेंगे। उन्होंने कहा कि पार्टियां चलाने वाले परिवारों का जो हाल पूरे देश में हो रहा है, वही कश्मीर में भी होगा। जिस तरह पूरे देश में जनता राजनीतिक परिवारों से किनारा कर रही है, उसी तरह कश्मीर में भी अब्दुल्ला और मुफ्ती परिवार का खात्मा होगा और पंच-सरपंच वहां विकास करेंगे।

शाह ने कहा कि भारत सरकार ने जम्मू-कश्मीर के विकास के लिए जो 2 लाख 77 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा भेजे, उसे किसी-न-किसी ने बीच में ही खा लिया। उन्होंने कहा कि आर्टिकल 370 होने के कारण वहां कई एजेंसियां नहीं थी, जिसके कारण वहां भ्रष्टाचार चरम पर था। गृह मंत्री ने कहा, 'निुयक्तियां और भर्तियां पारदर्शी तरीके से होनी चाहिए और जहां इनमें भ्रष्टाचार होता है, वहां ऐंटि करप्शन ब्यूरो (एसीबी) कार्रवाई करती है, लेकिन जम्मू-कश्मीर में एसीबी है ही नहीं। इस कारण वहां भयंकर भ्रष्टाचार हो रहा था।' उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के समान विकास के लिए और विकास की धारा नीचे तक पहुंचाने के लिए प्रतिबद्ध है।

कश्मीर में मनावाधिकार हनन के आरोपों पर गृह मंत्री ने कहा कि वहां कांग्रेस की गलत नीतियों के कारण 41 हजार लोग मारे गए, उनके मानवाधिकार की बात कौन करेगा? उन्होंने पूछा कि क्या उनका मानवाधिकार है कि नहीं जो विधवा हो गईं और जिनके बच्चे यतीम हो गए? जम्मू-कश्मीर में पाबंदियों के सवाल पर कहा कि वहां अब पाबंदी की बात गलती है। वहां सभी 196 में से सिर्फ 8 पुलिस स्टेशन में धारा 144 लागू है, कर्फ्यू नहीं। इंटरनेट और मोबाइल सेवा बंद होने के सवाल पर कहा कि देशभर में इंटरनेट आने के 16 साल बाद वहां इंटरनेट पहुंचा था जबकि देशभर में मोबाइल आने के 17 साल बाद वहां मोबाइल पहुंचा था। इसलिए, इंटरनेट, मोबाइल पर पाबंदियों की बात में कोई दम नहीं है।
 

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