फर्जीवाड़ा कर बने जज और वकील 27 की परीक्षा देकर वैधिक कर लेंगे अपनी फर्जी डिग्री 

भोपाल
राष्ट्रीय विधि संस्थान विश्वविद्यालय (एनएलआईयू) ने फर्जीवाड़ा कर पास करने वाले विद्यार्थियों की दोबारा परीक्षा कराने का निर्णय कर लिया है। फर्जीवाड़ा कर कई विद्यार्थी न्यायाधीश की कुर्सी पर बैठ गए हैं। यहां तक कुछ हाईकोर्ट और जिला एवं सत्र न्यायायल में प्रैक्टिस तक कर रहे हैं। इसी फर्जीवाड़े की डिग्री के दम पर वे देश की बड़ी बड़ी फर्म में लीगल एडवाईजर बने हुए हैं। उनका फर्जीवाड़ा हाईकोर्ट के पूर्व जज अभय कुमार गोहिल ने खोलकर रख दिया था। दो दर्जन से ज्यादा विषयों में फेल होने के बाद फर्जी डिग्री के दम पर नौकरी हासिल कर चुके हैं। 

सामान्य परिषद ने उनकी अवैध डिग्री को वैधिक जामा पहनाने के लिए एक परीक्षा कराने का निर्णय लिया है। ये परीक्षा 27 मई को होगी। परीक्षा में 2003 से 2014 के विद्यार्थियों को शामिल किया जाएगा। इसका नोटिस एनएलआईयू ने जारी कर दिया है। परीक्षा में शामिल होने के लिए फर्जीवाड़ा कर डिग्री हासिल करने वाले सभी विद्यार्थियों को 23 मई तक फार्म जमा करना है। फार्म एनएलआईयू के फोटो कापी सेक्शन ज्ञान मंदिर के अलावा एनएलआईयू की वेबसाइट पर अपलोड किए गए हैं। जहां विद्यार्थी फार्म डाउनलोड कर जमा कर सकते हैं। 

विद्यार्थियों को फार्म जमा करने के पहले परीक्षा से संबंधित सभी फीस का भुगतान करना होगा। डिग्री और माइग्रेशन ले जाने के कारण अब उन्हें दोबरा से प्रवेश लेना होगा, जिसमें उन्हें पुन: प्रवेश की पूरी फीस देना होगी। इसके साथ उन्हें एग्जाम फीस के लेट फीस का भुगतान करना होगा। फीस का विवरण जाने के लिए विद्यार्थियों को वित्त विभाग से संपर्क करने के निर्देश दिए गए हैं। फार्म जमा होने के बाद सभी विद्यार्थियों के प्रवेश पत्र तैयार किए जाएंगे। ये प्रवेश पत्र परीक्षा के दिन ही एकेडमिक ब्लाक एक से वितरित किए जाएंगे। 

नोटिस में गफलत 
नोटिस में फर्जीवाड़ा करने वाले कितने विद्यार्थियों को परीक्षा में शामिल किया जाएगा। इसकी संख्या नोटिस में नहीं दरसाई गई है। जबकि सामान्य परिषद ने फर्जीवाड़ा करने वाले सभी विद्यार्थियों की परीक्षा दोबारा करने के आदेश दिए थे। पिछली कार्यपरिषद में 31 विद्यार्थियों को परीक्षा में शामिल करने का निर्णय लिया गया है। इससे गफलत हो रही है। जबकि जांच रिपोर्ट में करीब 150 विद्यार्थियों की डिग्री को लाल घेरे में लिया गया है। 

रिपोर्ट और मिनिटस को रखा गोपनीय 
हाईकोर्ट के पूर्व जज गोहिल, तत्कालीन रजिस्ट्रार गिरीबाला सिंह और सामान्य परिषद की बैठक के मिनिटस को काफी गोपनीय रखा गया है। क्योंकि रिपोर्ट बाहर आने से जज बन चुके विद्यार्थियों का फर्जीवाड़ा सार्वजनिक हो जाता। उनकी कापियां भी जीसी और ईसी सदस्यों में आवंटित नहीं की गई हैं। 

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