प्री-मैरिटल काउंसेलिंग, रिश्ते से ज्यादा हेल्थ की बातें कर रहे हैं कपल्स
शादी से जुड़ी एक संस्था के मुताबिक, 2018- 2019 में प्री मैरिटल काउंसेलिंग लेने वालों की संख्या में 21.6 फीसदी का इजाफा हुआ, जिसमें प्री मैरिटल हेल्थ काउंसेलिंग करने वालों की संख्या ज्यादा थी। रिश्तों से संबंधित काउंसेलिंग करवाने वालों का प्रतिशत 9 फीसदी था, तो वहीं हेल्थ को लेकर काउंसेलिंग 11 फीसदी लोगों ने की। 2.6 फीसदी ऐसे लोगों थे, जिन्होंने रिश्तों के अलावा, परिवार के दूसरे लोगों से संबंध निभाने के बारे में काउंसेलर से राय मांगी।
रिश्ते से ज्यादा तवज्जो हेल्थ को
मैरिज काउंसेलर डॉ. संध्या अग्रवाल कहती हैं कि प्री-मैरिटल चेकअप एक ऐसा हेल्थ एग्जामिनेशन है, जो जल्द शादी के बंधन में बंधने जा रहे कपल्स को जरूर करवाना चाहिए ताकि उन्हें पता चल सके कि दोनों पार्टनर में से किसी को भी किसी तरह की कोई जेनेटिक, ब्लड से रिलेटेड या संक्रमण वाली कोई बीमारी तो नहीं है। शादी से पहले इस तरह का हेल्थ चेकअप इसलिए भी जरूरी है ताकि होने वाले बच्चे को पैंरेट्स की मौजूदा बीमारियों के खतरे से बचाया जा सके। इन दिनों दुनियाभर में बच्चों में जेनेटिक और ब्लड ट्रांसमिटेड डिजीज का खतरा तेजी से बढ़ रहा है, लिहाजा प्री-मैरिटल चेकअप बेहद जरूरी हो जाता है।
आंकड़ों की मानें, तो रिश्तों से ज्यादा तवज्जो इस समय हेल्थ काउंसेलिंग को दी जा रही है। इस बारे में डॉ. संध्या कहती हैं कि आज के दौर में शादी से पहले ही लड़का- लड़की कई बार डेटिंग कर लेते हैं। सामने वाले का नेचर कैसा है, यह तो उसकी समझ में आ जाता है लेकिन एक दूसरे की हेल्थ को लेकर दोनों ही अनजान रहते हैं। आपस में एक दूसरे की हेल्थ पूछना कपल के खासा मुश्किल भी होता है, इसलिए काउंसेलर ही एक ऐसा प्लेटफॉर्म है, जहां पर वे अपनी दिक्कतें खुलकर शेयर कर पाते हैं।
शादी से 6 महीने पहले
जहां तक प्री-मैरिटल हेल्थ चेकअप की बात है, तो इसे कभी भी करवाया जा सकता है लेकिन शादी से 6 महीने पहले इस हेल्थ चेकअप को करवाने का सही समय माना जाता है। फिजिशियन डॉक्टर संजय महाजन कहते हैं कि प्री-मैरिटल हेल्थ चेकअप में 4 मेडिकल टेस्ट जरूर करवाने चाहिए। HIV और STD से जुड़े टेस्ट, ब्लड ग्रुप कम्पैटिबिलिटी टेस्ट, फर्टिलिटी टेस्ट और जेनेटिक या दूसरे मेडिकल कंडिशन से जुड़े टेस्ट। इन चार टेस्ट के जरिए किसी की ओवरऑल हेल्थ पता चल जाती है।
समस्याओं और शंकाओं का समाधान
हेल्थ काउंसेलिंग में इमोशनली भी सिचुएशन को हैंडल करने की सलाह दी जाती है, क्योंकि शादी के बाद लड़की के इमोशनल हेल्थ का पूरा असर गर्भस्थ शिशु पर पड़ता है। इस तरह की काउंसेलिंग में यह भी बताया जाता है कि आपको बेबी तभी प्लानिंग करना है, जब आप फिजिकली और मेंटली स्ट्रॉग हों। एक रिसर्च से यह साबित भी हो गया है कि भावनाओं से प्रभावित होने पर ब्रेन से निकलने वाले सिगनल्स बॉडी सुनती है। अगर ये भावनाएं दुख से भरी हों, तो वे गर्भावस्था तथा डिलीवरी को भी दुखदायी बना देती हैं। मैरिज काउंसलर प्रशांत झा बताते हैं कि मैरिज काउंसेलिंग का फायदा यह भी होता है कि दोनों पार्टनर जो एक-दूसरे से बात करने से झिझकते हैं वे एक दूसरे से खुल जाते हैं और दोनों के बीच बेहतर अंडरस्टैंडिग डिवेलप होती है। इससे उनको एक-दूसरे को समझना आसान रहता है और वे इमोशनली, सेक्शुअली और फाइनेंशली एक दूसरे का साथ किस तरह निभा सकते हैं, इसमें वे क्लीयर होते हैं। यही नहीं, काउंसेलिंग के जरिए वे वर्तमान के साथ ही अपने भविष्य के बारे में भी बेहतर प्लान कर पाते हैं।