प्रवासी बिहारियों के बच्चे सरकारी स्कूलों में दाखिल होंगे, शिक्षा विभाग ने रणनीति बनाने में जुटा

  पटना 
कोरोना संकट के बीच देश के विभिन्न राज्यों से बिहार लौटे प्रवासी श्रमिकों के बच्चों का राज्य के सरकारी विद्यालयों में नामांकन होगा। शिक्षा विभाग इसको लेकर विशेष कार्ययोजना बनाने में जुट गया है। लक्ष्य है कि प्रदेश आए लाखों श्रमिकों, कामगारों के एक भी बच्चे की पढ़ाई बाधित नहीं हो। 

शिक्षा मंत्री कृष्णनंदन प्रसाद वर्मा ने आपके अपने अखबार ‘हिन्दुस्तान’ को बताया कि जो भी श्रमिक दूसरे राज्यों से पलायन कर सपरिवार गांव लौटे हैं, उनके बच्चों का योग्यता के मुताबिक कक्षा में नामांकन लिया जाएगा। नामांकन के लिए प्रवासी श्रमिकों के बच्चों का शिक्षा विभाग सर्वे कराएगा। ऐसे एक-एक बच्चे की पहचान की जाएगी और उन्हें सरकारी विद्यालयों में आगे की पढ़ाई जारी रखने के लिए तमाम सुविधाएं दी जाएंगी। 

अबतक केवल ट्रेन से ही करीब 20 लाख प्रवासी श्रमिक विभिन्न राज्यों से बिहार लौटे हैं। इनमें से एक चौथाई की वापसी अपने बाल-बच्चों के साथ हुई है। इनमें से ज्यादातर अब रोजी-रोजगार के लिए परदेस जाने को इच्छुक नहीं हैं। स्थिति सामान्य होने पर कुछेक गए भी तो इसके आसार कम हैं कि वे अपने बच्चों को लेकर जाएंगे। इस हाल में दूसरे शहरों में पढ़ने वाले करीब तीन से चार लाख बच्चों का बोझ प्रदेश के गांवों में स्थिति सरकारी विद्यालयों पर पड़ने वाला है। इसे देखते हुए शिक्षा विभाग ने रणनीति बनानी आरंभ कर दी है। 

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने प्रवासी बिहारियों को अपने राज्य में लौटने की पूरी व्यवस्था की है। उन्हें क्वारंटाइन केंद्रों में रखने से लेकर भोजन, आर्थिक सहायता, उनके रोजगार समेत तमाम प्रबंध किए हैं। श्रमिकों के बच्चों का सरकारी स्कूलों में दाखिला शिक्षा विभाग सुनिश्चित करेगा।
-कृष्णनंदन प्रसाद वर्मा, शिक्षा मंत्री

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