प्रदेश की 100 रेत खदानों मे 31 मार्च से खनन बंद

भोपाल
 प्रदेश में एक अप्रैल से रेत की कमी होने की संभावना है। इसकी मुख्य वजह नई रेत नीति के अनुसार 31 मार्च से प्रदेश की करीब 100 रेत खदानों का अनुबंध समाप्त होना है। इनमें पंचायतों की 70 और खनिज निगम की 30 खदानें शामिल हैं। इधर, सरकार अब तक यह तय नहीं कर पाई है कि पंचायतों की रेत खदानों को आगे चलने देना है या फिर रेत आपूर्ति के लिए कोई नई व्यवस्था शुरू करना है। पंचायतों की 275 खदानों में से मात्र 70 खदाने ही चालू हैं, कारण कि शेष खदानों के माइनिंग प्लान और पर्यावरण स्वीकृति नहीं मिल पाई है।

दरअसल, पंचायतों की खदान से रेत उत्खनन के लिए माइनिंग प्लान और पर्यावरण स्वीकृति का भी समय खत्म हो रहा है। ऐसे में खनिज विभाग पंचायतों की चालू रेत खदानों के दस्तावेजों की जांच कर रहा है, जिन खदानों के माइनिंग प्लान और पर्यावरण स्वीकृति 31 मार्च के बाद तक हैं उन्हें आगे तक चालू रखा जा सकता है, लेकिन जिनकी दोनों अनुमतियों 31 को समाप्त हो रहीं हैं। उन्हें मजबूरी में सरकार को बंद करना होगा। खनिज विभाग के अधिकारियों ने बताया कि इस बीच पंचायत की अन्य 205 खदानों के लंबित माइनिंग प्लान और पर्यावरणीय स्वीकृति 31 मार्च से पहले करवाने का प्रयास किया जा रहा है। जिससे बंद होने वाली पंचायतों की खदान के साथ दूसरी पंचायत की खदानें शुरु की जा सकें।

41 जिलों में हुए हैं रेत के नए ठेके

नई खनिज नीति में 43 में से 41 जिलों में रेत के नए ठेके हुए हैं। उज्जैन और आगर-मालवा जिले की रेत खदान लेने के लिए ठेकेदारों ने रुचि नहीं दिखाई है। वहीं खनिज निगम ने होशंगाबाद, मंडला और अशोक नगर जिले के रेत ठेकेदारों शासन में विचाराधीन है। इधर विभाग ने कटनी, देवास, हरदा, बैतूल, भिंड, बालाघाट, पन्ना और जबलपुर जिले के खदानों की करीब 100 खदानों के माइनिंग प्लान भी स्वीकृत हो गए हैं। वहीं विभाग ने कलेक्टरों से कहा है कि जिन जिलों की खदाने ठेकेदारों को आवंटित जा रही हैं, उन जिलों की खदानों को पंचायतों से वापस लेकर ठेकेदारों के नाम ट्रांसफर किया जाए। इधर खनिज निगम ने होशंगाबाद, मंडला और अशोक नगर जिले के रेत ठेकेदारों का मामला सरकार में लंबित है।

मात्र चार जिलों की रेत खदानों हुआ अनुबंध
दो माह में मात्र चार जिलों से रेत उत्खनन के लिए ठेकेदारों ने खनिज निगम से अनुबंध किया है, जिसमें शिवपुरी, सीहोर, भिंड और कटनी जिला शामिल है। मप्र खनिज कारपोरेशन ने इन खदानों को पंचायतों से लेकर ठेकेदारों के हवाले कर दिया है। इन खदानों का माइनिंग प्लान और पर्यावरण की स्वकृति पहले से है। इनकी ठेकेदारों के जरिए ईटीपी जनरेट कर रेत की बिक्री भी शुरू कर दी गई है।

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