पूर्व सीएम अजीत जोगी के सामने बेबस हुई भूपेश बघेल सरकार की SIT?

रायपुर
छत्तीसगढ़  के बहुचर्चित अंतागढ़ टेपकांड  मामले में राजनीति थमने का नाम नहीं ले रही है. इस मामले में वायस सैंपल ने देने को लेकर तकरार होनी शुरू हो गई है. अब ऐसा लग रहा है कि पूर्व सीएम और जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ जे  के सुप्रीमो अजीतजोगी और उनके बेटे अमित जोगी के सामने राज्य की भूपेश बघेल सरकार की एसआईटी बेबस हो गई है. क्योंकि एक के बाद एक नोटिस जारी होने के बाद भी अजीत जोगी और उनके बेटे अमित जोगी एसआईटी के सामने वायस सैंपल देने नहीं पहुंचे.

छत्तीसगढ़  के बहुचर्चित अंतागढ़ टेपकांड के मामले में एसआईटीतत्कालीन कांग्रेस उम्मीदवार रहे मंतूराम का वायस सैंपल और पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी और उनके बेटे अमित जोगी को भी वायस सैंपल देने के लिए तीसरी बार नोटिस भेजा था. इसके तहत उन्हें बीते 21 अगस्त को एसआईटी के समक्ष उपस्थित होना था, लेकिन इस पूरे मामले में अमित जोगी और उनके पिता अजीत जोगी ने अपना वायस सैंपल देन से इनकार कर दिया है. उनका कहना है कि किसी को भी वायस सैंपल देने के लिए उन्हें बाध्य नहीं किया जा सकता हैं. अंतागढ़ मामले के अलावा ओर आधा दर्जन मामलो में भी राज्य की एसआईटी के हाथ कुछ लगता दिखाई नहीं दे रहा है.

हमलावार हुई बीजेपी
बीजेपी इस पूरे मामले को लेकर कांग्रेस सरकार पर हमलावर होती नजर आ रही हैं. बीजेपी का मानना है कि अंतागढ़ टेपकांड में राज्य की कांग्रेस सरकार की एसआईटी बदलापुर की राजनीतिक का हिस्सा है. पूर्व विधायक व बीजेपी प्रवक्ता श्रीचंद सुंदरानी का कहना है कि इस मामले में राज्य की भूपेश सरकार राजनीतिक द्वेष के तहत कार्रवाई कर रही है. दूसरी ओर कांग्रेस के प्रवक्ता विकास तिवारी का कहना है कि अगर सभी आरोपी पाक-साफ हैं तो वायस सैंपल देने से कतरा क्यों रहे हैं. बता दें कि साल 2014 में अंतागढ़ उपचुनाव के समय कांग्रेस के प्रत्याशी मंतूराम पवार ने ऐसे वक्त नाम वापस ले लिया था, जब कांग्रेस दूसरा प्रत्याशी नहीं उतार सकती थी. चुनाव के बाद एक कथित वाइस रिकॉर्डिंग वायरल हुई थी, जिसमें कथित तौर पर अजीत जोगी, अमित जोगी की आवाज होनी बताई गई थी. इसी मामले में एसआईटी जांच कर रही है.

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