पूर्व सांसद अशोक अर्गल – पार्टी से स्वतंत्र होना चाहता हूं

मुरैना
 लोकसभा चुनाव में टिकट बंटवारे के बाद नाराजगी का दौर शुरू हो गया है। भिंड लोकसभा सीट से इस बार भाजपा ने संध्या राय को उम्मीदवार बनाया है। संध्या राय के उम्मीदवार बनने से पूर्व सांसद और मुरैना के महापौर अशोक अर्गल नाराज बताए जा रहे हैं। अशोक अर्गल को लेकर खबर आ रही हैं कि वो पार्टी छोड़कर कांग्रेस में शामिल हो सकते हैं। हालांकि उन्होंने कांग्रेस में शामिल होने को लेकर कोई भी प्रतिक्रिया नहीं दी है। उन्होंने कहा है कि अब मैं पार्टी से स्वतंत्र होना चाहता हूं।

दोहरी नीति क्यों
अशोक अर्गल ने टिप्पणी ने कहा, एक पार्टी में दो संविधान कैसे हो सकते हैं। उन्होंने कहा कि नरेंद्र सिंह तोमर जहां से चाहेंगे वहां से चुनाव लड़ेंगे और अशोक अर्गल को टिकट नहीं मिलेगा। पार्टी के टिकट वितरण में अन्याय पूर्ण रवैये से मैं बेहद अहत और दु:खी हूं। वहीं, भाजपा उम्मीदवार संध्या राय का नाम लिए बिना उन्होंने कहा, पार्टी ने भिंड-दतिया सीट से ऐसे उम्मीदवार को टिकट दिया, जिसने मेरे महापौर के चुनाव में खुलकर मुझे हराने का प्रयास किया। अर्गल ने कहा कि मैं अब स्वतंत्र होना चाहता हूं।

​​​​​​​पांच बार सांसद रहे अशोक अर्गल
अशोक अर्गल भाजपा के कद्दावर नेता हैं। वो पांच बार सांसद रह चुके हैं। उनके पिता छविराम अर्गल भी सांसद रहे हैं। अशोक अर्गल चार बार मुरैना और एक बार भिंड लोकसभा सीट से सांसद रहे। अशोक अर्गल एसी समुदाय से आते हैं। माना जाता है भिंड और मुरैना लोकसभा सीट पर एससी और एसटी वोटरों पर उनकी अच्छी पकड़ है। भाजपा ने इस बार यहां से मौजूदा सांसद भगीरथ प्रसाद का टिकट काट कर संध्या राय को उम्मीदवार घोषित किया है।

भिंड का जातीय समीकरण
इस संसदीय क्षेत्र में करीब दो लाख क्षत्रिय, डेढ़ लाख ब्राह्मण, डेढ़ लाख वैश्य मतदाता हैं। वहीं, दलितों के करीब साढ़े तीन लाख वोटर हैं। आदिवासी, अल्पसंख्यक और अन्य के वोटों का आंकड़ा करीब तीन लाख है। इसी तरह धाकड़ ( किरार), गुर्जर, कुशवाह, रावत, इन समाजों के 80 हजार से लेकर एक लाख तक वोट हैं। 2011 की जनगणना के मुताबिक यहां की 78.23 फीसदी ग्रामीण क्षेत्र और 21.77 फीसदी जनसंख्या शहरी क्षेत्र में रहती है।

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